जैन श्रद्धालुओं ने की उत्तम सत्य धर्म की पूजा
श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर मंडी में मुनि श्री 108 सुरत्न सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में श्री दशलक्षण महामंडल विधान के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म की पूजा की गई।
संवाद सहयोगी, बड़ौत (बागपत): दशलक्षण पर्व के पांचवें दिन जैन मंदिरों में उत्तम सत्य धर्म की पूजा की गई। इस मौके पर जिनालयों में आयोजित विधानों में बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
श्री 1008 अजितनाथ दिगंबर जैन प्राचीन मंदिर मंडी में मुनि श्री 108 सुरत्न सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में श्री दशलक्षण महामंडल विधान के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म की पूजा की गई। सौधर्म इंद्र विनोद जैन के नेतृत्व में देवाधिदेव अजितनाथ भगवान की प्रतिमा का जैन श्रद्धालुओं ने गर्म प्रासुक़ जल से अभिषेक तथा शांति धारा की। इसके बाद नित्य नियम पूजन में श्री चंद्रप्रभु पूजन, समुच्चय पूजन, नवकार पूजन ,सोलह कारण पूजन तथा पंचमेरू पूजन किया गया। श्री दशलक्षण विधान की पूजन में ब्रह्मचारिणी मधु दीदी व सीमा दीदी के निर्देशन में उत्तम सत्य धर्म की पूजा की गई। यहां जैन श्रद्धालुओं ने भक्ति नृत्य भी किया। संगीतकार विकास म्यूजिकल ग्रुप के भक्ति संगीत को विशेष रुप से सराहा गया। विधान में मुनि श्री सुरत्न सागर जी महाराज ने कहा कि आज उत्तम सत्य धर्म का दिन है। सत्य धर्म हमें सिखाता है झूठ न बोलना। अर्थात व्यक्ति के मन में जो बात है वही बात कहनी। सभा में सुभाष जैन, मुकेश जैन, अशोक जैन, वरदान जैन, सचिन जैन, प्रदीप जैन, मदन लाल जैन, महेंद्र जैन, अरुण जैन आदि उपस्थित थे। शाम को मंदिर जी में गुरु भक्ति, आरती के अलावा फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता भी हुई। इसमें 50 से अधिक बच्चों ने भाग लिया। पुरस्कार वितरण प्रेमचंद पवन कुमार जैन एवं संजीव जैन किरठल वालों द्वारा किया गया। उधर बड़ा जैन मंदिर, पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर, शांति नाथ दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित विधान में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी।
उधर, जैन अनुयायियों के चल रहे दशलक्षण पर्व के पांचवें दिन उत्तम सत्य धर्म को जैन अनुयायियों ने अंगीकार कर विशेष पूजा अर्चना की। बड़े जैन मंदिर में तेरहदीप महामंडल विधान में जैन श्रद्धालुओं ने भगवान चंद्रप्रभु का अभिषेक विधि रूप से किया। इसके बाद दशलक्षण पर्व की पूजा कर विधान में लगभग आठ प्रकार की पूजा की। वहीं छोटे जैन मंदिर में श्रद्धालुओं ने विशेष पूजा-अर्चना भक्ति भाव से की। इसमें अर¨वद जैन,जिनेंद्र जैन, भूनेंद्र जैन, पीयूष जैन, राजेश जैन, बरखा जैन, नीलम जैन व कुसुम जैन आदि रहे।