रालोद के सियासी भविष्य को लेकर कशमकश
जासं, बागपत: सपा-बसपा गठबंधन का एलान होते ही रालोद के गढ़ बागपत में सन्नाटा पसरा है। हर क
जासं, बागपत: सपा-बसपा गठबंधन का एलान होते ही रालोद के गढ़ बागपत में सन्नाटा पसरा है। हर कोई यह मानकर चल रहा था कि सीट भले कम या ज्यादा मिले, लेकिन सपा-बसपा के साथ रालोद का भी सम्मानजनक गठबंधन होगा। बाकायदा गठबंधन के औपचारिक एलान में रालोद की सीटें भी घोषित की जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं होने से रालोद के कार्यकर्ता हक्के-बक्के हैं।
आमजन में यह चर्चा है कि आखिर रालोद का सियासी भविष्य क्या होगा? अन्य दलों के लिए दो सीटें छोड़ने के सपा-बसपा के दांव का रालोद पर कितना असर होगा? अगर दो सीटों में सभी अन्य दल शामिल होंगे, तो रालोद का हिस्सा कितना होगा। क्या रालोद दो सीटों पर संतुष्ट हो जाएगा, या दूसरे दलों से गठबंधन पर विचार करेगा? क्या भाजपा या कांग्रेस से भी रालोद हाथ मिला सकता है या अकेले ही मोर्चा संभालेगा? ये सवाल सियासी हल्के में अपना जवाब तलाशते रहे। फिलहाल रालोद के खेमे में चुप्पी है।
दरअसल, चौधरी परिवार के गढ़ रहे बागपत से साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शानदार जीत का परचम फहराया। भाजपा के डा.सत्यपाल ¨सह यहां से सांसद चुने गए। उसके बाद से छोटे चौधरी यानी अजित ¨सह और उनके पुत्र जयंत चौधरी लगातार साढ़े चार साल से बागपत में अपनी नींव मजबूत करने में जुटे हैं। कैराना में उप चुनाव में रालोद को सपा-बसपा का साथ मिलने से हर कोई मान रहा था कि लोकसभा चुनाव-2019 में रालोद फिर सपा-बसपा गठबंधन का हिस्सा होगा। रोज खबरें आ रही थीं कि सपा-बसपा दो-तीन सीट देना चाहती हैं, लेकिन रालोद पांच पर अड़ी है। यही कारण था कि सुबह से रालोद तमाम सियासी दलों के नेता और समर्थकों की निगाह लखनऊ में हुई मायावती और अखिलेश की प्रेस कांफ्रेस पर लगी थी। जैसे ही खबर आई कि सपा-बसपा 38-38 सीटों पर लड़ेंगी व रालोद को गठबंधन में शामिल करने का एलान नहीं हुआ तो रालोद नेताओं को झटका लगा। बाद में रालोद के कार्यकर्ताओं की बैठक हुई, जिसमें हर बूथ पर दस कार्यकर्ता नियुक्त करने, संगठन को मजबूत बनाने और गन्ना भुगतान पर आंदोलन की बात भी हुई, लेकिन वक्ताओं के लहजे में पहले जैसी हनक नहीं दिखी। उधर, चौपालों पर चाय की चुस्कियों के बीच चुनावी चर्चा में कुछ बुजुर्ग रालोद का भाजपा से गठबंधन करने पर जोर देते नजर आए।
रालोद के मंडल महासचिव ओमबीर ढाका कहते हैं कि अभी लोकसभा चुनाव में काफी समय है। चुनाव करीब आते ही रालोद सपा और बसपा गठबंधन का हिस्सा होगा।