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Note Ban : नोटबंदी कर पीएम मोदी ने जनता का दिल जीता : मिल्खा

बागपत में युवाओं में खेल अभिरुचि जगाने पहुंचे ओलंपिक एथलीट मिल्खा सिंह ने कहा इसके लिए मैं मोदी को सैल्यूट करता हूं। उन्होंने युवाओं से मोदी के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील भी की।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Sun, 20 Nov 2016 08:25 PM (IST)Updated: Sun, 20 Nov 2016 08:32 PM (IST)
Note Ban : नोटबंदी कर पीएम मोदी ने जनता का दिल जीता : मिल्खा

बागपत (जेएनएन)। फ्लाइंग सिख के नाम से विख्यात मिल्खा सिंह भी देश में पांच सौ तथा एक हजार रुपये के नोट बंद करने के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ हैं। ओलंपिक में पदक से चूकने वाले धावक मिल्खा ङ्क्षसह का मानना है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कालेधन पर प्रहार करने को नोटबंदी कर 130 करोड़ भारतीयों का दिल जीत लिया है।

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बागपत में युवाओं में खेल अभिरुचि जगाने पहुंचे ओलंपिक एथलीट मिल्खा सिंह ने कहा कि इसके लिए मैं मोदी को सैल्यूट करता हूं। उन्होंने युवाओं से मोदी के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील भी की। इंद्रप्रस्थ पब्लिक स्कूल में बतौर मुख्य अतिथि छात्र-छात्राओं को कामयाबी का मंत्र बताते हुए वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच गए। उन्होंने कहा कि 90 वर्ष की ङ्क्षजदगी में मैंने पंडित नेहरू से लेकर मोदी तक सभी देखे, लेकिन ऐसा प्रधानमंत्री नहीं देखा। आने वाली पीढिय़ों को नोटबंदी के लाभ मिलेंगे। मोदी ने चीन, रूस, अमेरिका, जापान और पाकिस्तान सभी की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया। उनका ध्यान देश से बेरोजगारी समाप्त करने की ओर भी है। मिल्खा सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री को राज्यवर्धन सिंह राठौर को खेलकूद मंत्रालय का जिम्मा देना चाहिए। इससे खेलों को आगे बढ़ाने की दिशा में तेजी आएगी।

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धावक बनें युवा

मिल्खा सिंह ने खुद के जीवन के किस्से सुनाकर युवाओं को जगाया। दर्द यह है कि साठ वर्ष में कोई भी मिल्खा या पीटी ऊषा नहीं पैदा हुआ। उन्होंने यहां के युवाओं से धावक बन देश का नाम रोशन करने के लिए प्रेरित किया। स्कूल के वार्षिक खेल समारोह में शिरकत करने आए ओलंपिक एथलीट मिल्खा ङ्क्षसह ने कहा उन्होंने साठ वर्ष पहले देश का नाम रोशन किया था। उसके बाद से इस देश में कोई दूसरा मिल्खा या पीटी ऊषा पैदा नहीं हुए। यह दर्द हमेशा उनके दिल में रहता है। उन्होंने कहा कि भाग मिल्खा भाग फिल्म आने के बाद उनकी व्यस्तता काफी बढ़ गई है। फिल्म भाग मिल्खा भाग के गीत हवन करेंगे, हवन करेंगे का मंचन बच्चों ने किया। इस पर वह भावुक हो उठे। मिल्खा ने कहा कि कामयाबी कोई पैमाना नहीं होता। उन्हें सौ मीटर, चार सौ मीटर, एशियन गेम्स, ओलंपिक आदि के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। बस कामयाबी होने का जुनून था। सेना में भर्ती हुआ। वहां जाकर उन्हें काफी कुछ जानकारी मिली। उन्होंने बताया कि उनकी कामयाबी में सेना का बड़ा हाथ है। मिल्खा ने कहा कि उनके समय में न स्टेडियम थे, न पैसा। अब तो स्टेडियम भी हैं, पैसा भी और कोच भी। इसका लाभ उठाइये। यहां के युवाओं की लंबाई अच्छी है। इसका लाभ उठाकर यहां से कई अच्छे धावक निकल सकते हैं।


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