Move to Jagran APP

पाकिस्तान से आने के 57 साल बाद भी वोट नहीं दे पाती नूरजहां

बचपन में पाकिस्तान जाना नू्रजहां को आज तक महंगा पड़ रहा है। नतीजा है कि वह अपनी आंखों के सामने बच्चों को वोट डालते देखती है

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Apr 2019 11:57 PM (IST)Updated: Thu, 11 Apr 2019 11:57 PM (IST)
पाकिस्तान से आने के 57 साल बाद भी वोट नहीं दे पाती नूरजहां

जागरण संवाददाता,बागपत: बचपन में पाकिस्तान जाना नू्रजहां को आज तक महंगा पड़ रहा है। वह अपनी आंखों के सामने बच्चों को वोट डालते देखती है, लेकिन खुद नहीं मतदान कर पाती है। वजह, उसे यहां की नागरिकता प्राप्त नहीं है।

loksabha election banner

बागपत के केतीपुरा मोहल्ले में रहने वाली 64 वर्षीय नूरजहां का जन्म मेरठ के बनी सराय में हुआ था। उनके पिता इमामुद्दीन वर्ष 1959 में पत्नी आशिया और तीन साल की बेटी नूरजहां के साथ पाकिस्तान के कराची चले गए और वहां रहने लगे। उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता मिल गई थी। वर्ष 1961 में इमामुद्दीन का इंतकाल हो गया था। आशिया अकेली हुई तो सिवालखास निवासी उसका भाई जाकिर मां-बेटी को 1962 में अपने साथ ले आया था। सिवालखास में उनका पालन पोषण हुआ। उनका निकाह बागपत में हुआ। उनके चार बेटे रहीश, नफीस, अनीस व अतीक हैं। नूरजहां तीसरी पीढ़ी आ गई है। परिवार के सदस्य हर चुनाव में मतदान करते हैं। गुरुवार को लोकसभा के चुनाव में भी ऐसा ही हुआ।

एलटीवी पर बागपत में

रह रही नूरजहां

नूरजहां लॉग टर्म वीजा पर यहां पर रह रही है। नागरिकता न मिलने के कारण उन्हें हर साल एलटीवी की अवधि बढ़वानी पड़ती है। परिवार व अन्य लोगों का कहना है कि नूरजहां को भारत की नागरिकता मिल जानी चाहिए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.