आखिर जेल में कहां से आई पिस्टल?
बागपत : जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या से जेल समेत पूरा शासन-प्रशासन सवालों के घेरे में है। सबस
बागपत : जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या से जेल समेत पूरा शासन-प्रशासन सवालों के घेरे में है। सबसे बड़ा सवाल है कि कुख्यात सुनील राठी के पास जेल में पिस्टल कैसे पहुंची। किसी मुलाकाती ने यह हरकत की या फिर जेल के किसी कर्मी ने इस साजिश को अंजाम दिया। यह भी स्पष्ट हो गया है कि मुन्ना की हत्या की साजिश पहले की रच ली गई थी। मृतक के परिजनों ने भी अपना गुस्सा शासन-प्रशासन पर ही उतारा है।
हर रोज मुलाकात के दौरान बीड़ी सिगरेट, गांजा, सुल्फा और दूसरा प्रतिबंधित सामान जेल में पहुंचता है। जेल में बंदी मोबाइल का खुलकर प्रयोग करते हैं। फेसबुक चलाते हैं। दुश्मनों को धमकाते हैं और रंगदारी मांगते हैं। जेल से बाहर तो अपराधी वीडियो कॉलिंग तक की सुविधा उठाते थे। कमिश्नर के निर्देश पर कई माह पूर्व जेल में छापामारी की गई थी तो नशे के सामान के साथ कई कट्टन भी मिली थीं। हाई सिक्योरिटी बैरक के पास खेत से मोबाइल मिला था। इसी बैरक में सुनील राठी बंद था। आरोप है कि जेल प्रशासन अपराधियों को ऐश-ओ-आराम की तमाम चीजें उपलब्ध कराता है। कई माह पहले सुनील ने जेल से ही रुड़की के एक चिकित्सक से रंगदारी मांगी थी। जेल में बंदियों के बीच गैंगवार भी किसी से छुपी नहीं है। इसके बावजूद जेल प्रशासन हर मामले पर पर्दा डालने में जुटा है।
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860 बंदी और 20 रक्षक
जेल की सुरक्षा भगवान भरोसे है। जेल की क्षमता 660 कैदियों की है, जबकि यहां पर 860 कैदी बंद हैं। मानक के अनुरूप 135 बंदी रक्षक होने चाहिए, लेकिन यहां पर 20 ही तैनात हैं। जेल में ना तो सीसीटीवी है और ना ही जैमर।
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मुन्ना को जेल में क्यों ले गई पुलिस
मुन्ना के अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव का आरोप है कि कोर्ट के आदेश के बिना ही पुलिस उसे लेकर चली गई। बाहर जनपद से आने वाले कैदी को कोर्ट के आदेश पर ही जेल में रखा जा सकता है। पुलिस भी इस षड़यंत्र में शामिल है।