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बागपत पहुंचने तक संशय में रहा बजरंगी

बागपत: झांसी जेल से सुबह करीब नौ बजे मुन्ना बजरंगी की एंबुलेंस बागपत के लिए रवाना हुई। एंबु

By JagranEdited By: Published: Tue, 10 Jul 2018 12:05 AM (IST)Updated: Tue, 10 Jul 2018 12:05 AM (IST)
बागपत पहुंचने तक संशय में रहा बजरंगी
बागपत पहुंचने तक संशय में रहा बजरंगी

बागपत: झांसी जेल से सुबह करीब नौ बजे मुन्ना बजरंगी की एंबुलेंस बागपत के लिए रवाना हुई। एंबुलेंस के आगे-पीछे सख्त पुलिसिया पहरा था। खेकड़ा पहुंचने से पहले तक इन पुलिसकर्मियों को यह नहीं मालूम था कि आखिर मुन्ना बजरंगी को लेकर कहां जाना है। मुन्ना बजरंगी अपने साथ आए जेल अधिकारी से लगातार यह गुहार लगा रहा था कि उसे या तो जिला अस्पताल में रखा जाए या फिर पुलिस लाइन या किसी थाने में। लेकिन खेकड़ा पहुंचने पर अचानक जेल अफसर के पास एक फोन पहुंचा और मुन्ना बजरंगी की एंबुलेंस को सुभानपुर स्थित जेल की ओर मोड़ दिया गया। ऐसा बताते हुए अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि तब मुन्ना बजरंगी ने उस अधिकारी से पूछा भी, तो उन्होंने बताया कि आपको जेल में ले जाने के आदेश मिले हैं। इसके बाद मुन्ना बजरंगी की एंबुलेंस बागपत जेल पहुंची और उसे रात करीब नौ बजे जेल में अंदर ले जाया गया। जब सुबह पहुंची सुरक्षा

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मुन्ना बजरंगी की सुरक्षा में आए पुलिसकर्मियों को यह भी नहीं मालूम था कि बागपत जेल में उसकी हत्या कर दी गई है। सुबह पेशी के समय से पूर्व झांसी से बजरंगी की सुरक्षा में आए पुलिसकर्मी बागपत कारागार पहुंचे, तो उन्हें घटना पता चली। झांसी में तीन दिन किया रजामंद, तब भेजा गया बागपत

मुन्ना बजरंगी किसी सूरत में बागपत नहीं आना चाहता था। वह खुद को झांसी जेल में महफूज महसूस कर रहा था। इधर बागपत की पुलिस तथा जेल प्रशासन लगातार मुन्ना बजरंगी को पेश कराने की जुगत में थे क्योंकि पूर्व विधायक लोकेश दीक्षित के मामले में न्यायिक प्रक्रिया आगे बढ़नी थी। जब मुन्ना बजरंगी यहां आने को तैयार नहीं हुआ तो झांसी जेल प्रशासन ने उसे रजामंद किया। अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव ने बताया कि बागपत आने से पूर्व तीन दिनों तक डीआइजी जेल झांसी उसके पास आए। उनके आश्वासन पर ही बजरंगी बागपत जाने के लिए तैयार हुआ।

दिया था सेहत का हवाला लेकिन मिली नाकामी

मुन्ना बजरंगी ने बागपत आने से बचने के लिए हर दांव चला। अपने स्वास्थ्य कारणों को भी बताया। अवगत कराया था कि उसे हृदय रोग के अलावा कई अन्य गंभीर बीमारियां हैं। इस पर जेल प्रशासन ने उसे एंबुलेंस मुहैया कराई। बजरंगी ने कहा कि वह बिना विशेषज्ञ डाक्टर के कहीं नहीं जा सकता। विकास श्रीवास्तव के अनुसार इस पर उसे बाल रोग विशेषज्ञ मुहैया कराकर बागपत भेज दिया गया।

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मुन्ना बजरंगी को दिख रहा था काल

-जून में बजरंगी की पत्नी ने प्रेस वार्ता कर जताया था खतरा

-बजरंगी के वकीलों ने बागपत पहुंचने में जताई थी असमर्थता

बागपत: झांसी जेल में बंद मुन्ना बजरंगी को अपनी हत्या का खतरा सता रहा था। उसने यह अंदेशा परिजनों से भी जता दिया था। यही वजह थी कि जून में बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह ने लखनऊ में प्रेस वार्ता करते हुए बजरंगी की जान को खतरा बताया था।

दरअसल जरायम की दुनिया में मुन्ना बजरंगी ने कई कुख्यात अपराधियों से दुश्मनी ले रखी थी। यही वजह थी कि उसे हमेशा अपनी जान पर खतरा सताता रहता था। खासकर जेल से बाहर जाने में यह खतरा बढ़ जाता था। बागपत में पेशी के लिए ले जाने पर पुलिस अड़ी तो उसको यह खतरा साफ दिखने लगा। उसके वकीलों ने कोर्ट में अर्जी भी लगाई और बागपत पहुंचने में असमर्थता जाहिर की। स्वास्थ्य कारणों का हवाला भी दिया। बताया कि एम्स में उसका इलाज चल रहा है, लेकिन बागपत पुलिस ने विशेष प्रयास करते हुए बजरंगी को यहां बुला लिया। बागपत में रविवार रात मुन्ना बजरंगी एंबुलेंस से पहुंचा और सोमवार सुबह वारदात हो गई।

मुन्ना बजरंगी के साले तथा अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव का कहना है कि इस वारदात के पीछे पुलिस की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। यही वजह है कि एक ऐसा मामला, जिसमें मुन्ना बजरंगी नामजद नहीं है। रंगदारी मांगने वाले से उनकी आवाज मैच नहीं हुई है, फिर भी पुलिस ने मुन्ना बजरंगी को बागपत बुलाया।

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सीने में एक गोली लिए घूम रहा था बजरंगी

-1998 में मुकरबा चौक पर दिल्ली पुलिस से हुई थी मुठभेड़

-बीस साल बाद पोस्टमार्टम के दौरान निकाली गई गोली

बागपत : मुन्ना बजरंगी का गोलियों से पुराना शगल रहा है। बकौल पुलिस भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के दौरान मुन्ना और उसके साथियों ने एके-47 से करीब 400 गोलियां चलाई थीं। दिल्ली में हुई मुठभेड़ के दौरान भी उसे आठ गोलियां लगी थीं। इनमें से एक गोली मरते दम तक उसके सीने में थी। सोमवार को उसकी मौत भी गोलियों से ही हुई।

पूर्वाचल में मुन्ना बजरंगी जरायम की दुनिया का बेताज बादशाह था। मौत को उसने कई बार शिकस्त दी। सितंबर 1998 में दिल्ली पुलिस ने उसे करनाल बाईपास स्थित मुकरबा चौक पर घेर लिया था। पुलिस ने उसे आठ गोलियां मारी। मौके पर मानवाधिकार आयोग की टीम पहुंची तो दिल्ली पुलिस ने कदम पीछे खींच लिए। मुन्ना को अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों ने आपरेशन कर उसके शरीर से सात गोलियां तो निकाल दीं, लेकिन एक गोली मुन्ना के सीने में धंसी रह गई। तभी से मुन्ना इस गोली को सीने में लिए घूम रहा था। इसके बाद मुन्ना जमानत पर रिहा हुआ और फरार हो गया। मुन्ना के अधिवक्ता विकास श्रीवास्तव ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि चिकित्सक आठवीं गोली को निकालने में नाकाम रहे थे। सोमवार को पोस्टमार्टम के दौरान मुन्ना के शरीर में धंसी गोली निकाल दी गई।

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बंदियों की मुलाकात रद

जेल में सोमवार सुबह कुख्यात मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद जेल प्रशासन ने बंदियों से मिलने आए मुलाकातियों को वापस भेज दिया। मुलाकातियों की संख्या बढ़ते देख अधिकारियों ने जेल के बाहर अवकाश होने का नोटिस चस्पा कर मुलाकात रद होने की जानकारी दी।


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