मुन्ना बजरंगी को पहली बार में तीन, दूसरी में पांच तथा तीसरी में दो गोली मारी गई
कुख्यात सुनील राठी के बागपत जेल से चले जाने से बंदियों की जुबान पर लगे ताले भी खुलने लगे हैं।
बागपत (जेएनएन)। माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी के बारे में अब बड़े राज खुलने लगे हैं। कुख्यात सुनील राठी के बागपत जेल से चले जाने से बंदियों की जुबान पर लगे ताले भी खुलने लगे हैं।
पुलिस को जानकारी मिल रही है कि मुन्ना बजरंगी को तीन बार में गोलियां मारी गईं। पहली में तीन, दूसरी में पांच तथा तीसरी बार में दो गोलियां चलीं। दूसरी बार में ही मुन्ना की मौत हो गई थी। फिर मोबाइल से फोटो खींचे गए। उनको वायरल करने के बाद दो गोली और मारी गईं। बाद में जेल स्टाफ ने पुलिस अफसरों को घटना की जानकारी दी थी।
सुनील राठी के फतेहगढ़ जेल में शिफ्ट होने के बाद अधिकांश बंदी बागपत जेल में राहत महसूस कर रहे हैं। पुलिस को पता चल रहा है कि मुन्ना बजरंगी की हत्या फिल्मी अंदाज में हुई है। तीन बार में 10 गोली चलीं। सबसे पहले मुन्ना बजरंगी की कनपटी पर सटाकर गोली मारी गई। उस समय तीन फायर हुए। मुन्ना जमीन पर गिर गया था। करीब एक मिनट बाद दोबारा पांच गोली चलीं। इससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद मुन्ना बजरंगी के फोटो खींचे गए। करीब चार मिनट बाद दो गोली और मारी गईं। उसके बाद फिर फोटो खींचकर वायरल किए गए थे। धमकी दी गई थी कि यदि किसी ने जुबां खोली तो अंजाम बुरा होगा। इसी कारण बंदी और जेल स्टाफ की जुबां बंद हो गई थी।
इसके अलावा भी पुलिस को कई अहम जानकारी मिली हैं। पुलिस उनको तस्दीक करने में लगी हुई है। उधर, एसपी जय प्रकाश का कहना है कि इस केस की विवेचना चल रही है। जल्द ही केस का राजफाश कर दिया जाएगा।
एक हिस्ट्रीशीटर को पहुंचाना था राठी का बैग
बागपत जेल में कुख्यात मुन्ना बजरंगी की हत्या के आरोपित सुनील राठी को मेरठ कैंट में एक बैग मिलना था, इसीलिए उसकी गाड़ी को यहां रोका गया। यह बैग जिले के एक हिस्ट्रीशीटर को लेकर जाना था। पांच मिनट तक हिस्ट्रीशीटर का इंतजार हुआ। जब वह नहीं आया तो गाड़ी आगे बढ़ गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बाद में हिस्ट्रीशीटर वहां पहुंचा, लेकिन लौट आया। शनिवार को जब सुनील राठी को फतेहगढ़ सेंट्रल जेल ले जाया जा रहा था तो मेरठ एसएसपी राजेश कुमार पांडेय से भी सुरक्षा मांगी गई थी। इसके बाद दौराला में वज्र वाहन को बुलेटप्रूफ जैकेट से लैस जवानों के साथ भेजा गया था। फिर कैंट में सुनील राठी की गाड़ी रोकी गई। यहां हिस्ट्रीशीटर का इंतजार हुआ।
अब सवाल यह है कि यह हिस्ट्रीशीटर सुनील राठी को बैग में क्या देना चाहता था। सूत्रों का यह भी कहना है कि कैंट क्षेत्र की एक दुकान से कुछ सामान भी खरीदा गया है। सवाल यह खड़ा हो रहा है कि इतने दुर्दांत अपराधी को ले जा रही गाड़ी को सिक्योरिटी अफसर ने रोकने की इजाजत क्यों दी। एसएसपी राजेश कुमार पांडेय का कहना है कि सुनील राठी की गाड़ी को कैंट में रोकना बड़ी लापरवाही है। इस मामले में बागपत एसपी से बात करके जांच की जाएगी। जो भी दोषी होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
झांसी से बजरंगी की रवानगी की सूचना 11 घंटे बाद मेरठ दी
क्या बागपत जेल में पूर्वांचल के डॉन मुन्ना बजरंगी की हत्या की साजिश कहीं और रची गई। इस मामले में जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, लापरवाही की परतें खुल रही हैं। झांसी जेल से मुन्ना बजरंगी को बागपत रवाना करने से पहले मेरठ के डीआइजी (जेल) को इसकी सूचना ही नहीं दी गई। यह सूचना रवानगी के 11 घंटे बाद मेल से दी गई और उसके दो घंटे बाद मुन्ना बागपत जेल पहुंच गया। आगरा, मथुरा सहित रास्ते में पडऩे वाले जिलों के अधिकारियों को भी मुन्ना के गुजरने की जानकारी नहीं दी गई।
बताया जाता है कि आठ जुलाई को शाम सात बजे डीआइजी (जेल) कार्यालय को मेल मिली कि बजरंगी को पेशी के लिए बागपत भेजा गया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बजरंगी की हत्या के बाद हो रही जांच में 11 घंटे बाद मेल भेजने का तथ्य सामने आया है। इस बात की भी जांच की जा रही है कि झांसी से बागपत के बीच पडऩे वाले जिलों के पुलिस अधिकारियों को भी सूचना दी गई थी या नहीं। दूसरी ओर सूत्रों का यह भी कहना है कि जिस पिस्टल से बजरंगी की हत्या की गई, वह आठ जुलाई को ही जेल में पहुंच गई थी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार सुनील राठी से आठ जुलाई को मुलाकात के लिए कुछ लोग आए थे। आशंका है आठ जुलाई को मुलाकात के दौरान ही यह पिस्टल जेल में राठी के पास पहुंची थी।