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Modi 3.0 Cabinet: मोदी सरकार में पश्चिम यूपी 'खाली हाथ', तीसरी बार भी नहीं मिला कोई कैबिनेट मंत्री; जयंत को मिला ये पद

मोदी की 2014 की सरकार में जनरल वीके सिंह डा. संजीव बालियान और बाद में डाक्टर सत्यपाल सिंह भी मंत्री बनाए गए थे। 2019 में भी बालियान और वीके सिंह रहे लेकिन इस बार जयंत अकेले और वह भी रालोद कोटे से। इस क्षेत्र से अंतिम बार कैबिनेट मंत्री पद अजित सिंह को मिला था। अजित सिंह 2011 से 2014 तक नागरिक उड्ययन मंत्री रहे थे।

By Aysha Sheikh Edited By: Aysha Sheikh Mon, 10 Jun 2024 10:30 AM (IST)
Modi 3.0 Cabinet: मोदी सरकार में पश्चिम यूपी 'खाली हाथ', तीसरी बार भी नहीं मिला कोई कैबिनेट मंत्री; जयंत को मिला ये पद
Modi 3.0 Cabinet: मोदी सरकार में पश्चिम यूपी 'खाली हाथ', तीसरी बार भी नहीं मिला कोई कैबिनेट मंत्री

जागरण संवाददाता, बागपत। मोदी-03 में पश्चिमी उप्र एक बार फिर हाशिए पर नजर आया। जयन्त चौधरी को छोड़ दें तो मंत्रालय के पैमाने पर यहां सन्नाटा ही रहा। पश्चिम क्षेत्र से सिर्फ जयंत चौधरी को मंत्रालय में स्थान मिला, हालांकि कैबिनेट मंत्री नहीं बन पाए। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) से ही संतोष करना पड़ा। वहीं, मेरठ से 35 साल से कोई चेहरा मंत्री नहीं बन सका। मेरठ से राज्यसभा सदस्य डा. लक्ष्मीकान्त बाजपेयी को मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

मोदी सरकार में पश्चिम यूपी को नहीं मिला कोई कैबिनेट मंत्री 

मोदी की 2014 की सरकार में जनरल वीके सिंह, डा. संजीव बालियान और बाद में डाक्टर सत्यपाल सिंह भी मंत्री बनाए गए थे। 2019 में भी बालियान और वीके सिंह रहे, लेकिन इस बार जयंत अकेले और वह भी रालोद कोटे से। इस क्षेत्र से अंतिम बार कैबिनेट मंत्री पद अजित सिंह को मिला था। अजित सिंह 2011 से 2014 तक नागरिक उड्ययन मंत्री रहे थे। उनके बाद मोदी-01 और मोदी-02 में भी पश्चिम यूपी को कोई कैबिनेट मंत्री पद नहीं मिला। संजीव बालियान, डा. सतपाल सिंह, महेश शर्मा जैसे चेहरों के पास केंद्र में राज्यमंत्री का पद जरूर रहा।

चौ. अजित सिंह से पहले मेरठ से 1952 में पहली बार सांसद बने शाहनवाज खान रेलवे और परिवहन मंत्री बने। उसके बाद भी सांसद बनने के बाद मंत्री रहे। 1980 में मेरठ से सांसद निर्वाचित हुई मोहिसना किदवई केन्द्रीय मंत्रीमंडल में वह श्रम एंव पुर्नवास राज्यमंत्री रही। 1984 में दूसरी बार सांसद निर्वाचित होने के बाद मोहिसना किदवई केबिनेट मंत्री रही। शहरी विकास मंत्रालय, परिवहन, पर्यटन जैसे महत्वर्पूण विभाग उनके पास रहे।1989 में मुजफ्फरनगर से सांसद रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्रीय गृह मंत्री बने थे।

वे देश के गृह मंत्री बनने वाले पहले मुस्लिम थे। वीपी सिंह की इसी सरकार में अजित सिंह केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री थे। इस तरह केंद्र में प्रतिनिधित्व की बात करें तो इसकी कमान चौधरी अजित परिवार के पास ही रही। चौ. चरण सिंह ने 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद केंद्र की राजनीति का रुख किया था। वे बागपत से सांसद रहते हुए 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक देश कें पांचवें प्रधानमंत्री रहे। इससे पहले चौधरी चरण सिंह ने उप प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री का दायित्व भी संभाला।

उनके पुत्र अजित सिंह 1989 से 2009 तक बागपत से सात बार सांसद रहे। इस दौरान उन्होंने वीपी सिंह, पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण और नागरिक उड्ययन जैसे मंत्रालयों को संभाला। 1990 में वीपी सिंह सरकार में रशीद मसूद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे थे। मेरठ से तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए राजेन्द्र अग्रवाल को मोदी-02 में मंत्री बनाए जाने की उम्मीद थी लेकिन वह मंत्री नही बन सके।

भारत की नागरिकता मिलने के बाद सांसद बने थे जयन्त

जयन्त चौधरी का जन्म अमेरिका में हुआ था। 2009 में मथुरा से चुनाव लड़ने से ठीक पहले ही उन्हें भारत की नागरिकता मिली थी। नागरिकता न होने के कारण वे 2007 का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ सके थे।