मिड-डे मील नहीं, घर की दही पी रहे बच्चे
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सरकार जिले में मिड-डे-मील पर करोड़ों का बजट हर माह खर्च कर देती है लेकिन पूर्व माध्यमिक विद्यालय मलकपुर गांव में मध्यान्ह भोजन नहीं बनता है। कई बच्चे भूख मिटाने के लिए घर से लाया दूध और दही पीते हैं तो अधिकांश भूखे ही रहते हैं। सिस्टम की यह घनघोर लापरवाही बीएसए कार्यालय से लगभग 21 किमी और बीईओ कार्यालय से लगभग पांच किमी दूरी पर हो रही है।
बागपत, जेएनएन: जिले के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में सरकार मिड-डे-मील पर करोड़ों का बजट हर माह खर्च करती है, लेकिन पूर्व माध्यमिक विद्यालय मलकपुर गांव में मध्याह्न भोजन नहीं पकाया जाता है। कई बच्चे भूख मिटाने के लिए घर से लाया दूध और दही पीते हैं तो अधिकांश भूखे ही रहते हैं। सिस्टम की यह घोर लापरवाही बीएसए कार्यालय से लगभग 21 किमी और बीईओ कार्यालय से लगभग पांच किमी दूरी पर हो रही है। हालांकि सरकार को जाने वाली रिपोर्ट में बच्चों को हर रोज मीनू के अनुरूप मिड-डे-मील परोसा जाता है। सवाल यह है कि सरकार ने जब अफसरों को व्यवस्था की निगरानी के लिए जिले में तैनात किया है तो उनकी आंखों पर पट्टी क्यों बंधी हुई है?
116 बच्चों के इस विद्यालय में सहायक अध्यापक सुषमा पंवार, नेहा जैन और हेमलता के अलावा अनुचर प्रदीप कुमार तैनात हैं। विद्यालय में इंचार्ज का पद किसी के पास नहीं है। अध्यापकों की मानें तो 30 अगस्त को विद्यालय के इंचार्ज अनिल मान का ट्रांसफर जागौस गांव में हो गया था। अभी तक चार्ज उनके पास ही है। यही कारण है कि मिड-डे मील का पैसा बैंक से नहीं निकाला जा सकता। मिड-डे मील का जो पैसा बैंक में आता है, वह इंचार्ज और ग्राम प्रधान के संयुक्त खाते में होता है। अध्यापक यह भी बताते हैं कि कुछ दिन उन्होंने गांव में उधार लेकर मिड-डे-मील की व्यवस्था कराई थी, लेकिन दुकान का उधार ज्यादा हो गया। दुकानदार ने उधार में सामान देना बंद कर दिया। लिहाजा चार अक्टूबर से विद्यालय में मिड-डे-मील नहीं बनता है। अध्यापकों ने रुपए एकत्र कर अधिकांश बकाया तो दुकानदार का चुकता कर दिया, लेकिन अभी भी कुछ रुपए उसके उधार हैं, जिनका तकादा करने वह आए दिन स्कूल में आता है। शनिवार को जब विद्यालय में मिड-डे-मील की स्थिति देखी गई तो यह सारी बातें सामने आई। एक तस्वीर ऐसी भी आई, जिसमें कक्षा छह की बच्ची घर से डिब्बे में लाई दही पीती हुई दिखाई दी।