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एक साल में फुंके तीन हजार ट्रांसफार्मर, छह करोड़ की चपत

ऊर्जा निगम अफसरान बेहतर बिजली आपूर्ति का दावा करते नहीं थकते हों लेकिन हकीकत स्याह है। बागपत में प्रतिदिन आठ ट्रांसफार्मरों के जलने के औसत ने अब अफसरों की नींद उड़ा दी। अफसरों को डर है कि कहीं ऊर्जा निगम मुख्यालय ने सवाल खड़ा कर दिया कि इतने ट्रांसफार्मर खराब क्यों हुए तो जवाब देते नहीं बनेगा। ट्रांसफार्मरों के खराब होने से ऊर्जा निगम को तो करोड़ों की चपत लगी ही है वहीं उपभोक्ताओं को भी कई दिन तक बिजली नहीं मिलने का खामियाजा भुगतना पड़ा है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 08:13 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 08:13 PM (IST)
एक साल में फुंके तीन हजार ट्रांसफार्मर, छह करोड़ की चपत
एक साल में फुंके तीन हजार ट्रांसफार्मर, छह करोड़ की चपत

जागरण संवाददाता, बागपत : ऊर्जा निगम की बिजली आपूर्ति की राह में खराब ट्रांसफार्मर बड़ी बाधा बने हुए हैं। जिले में प्रतिदिन आठ ट्रांसफार्मर फुंक रहे हैं। एक साल में विभाग के तीन हजार ट्रांसफार्मर फुंक चुके हैं। इससे विभागीय अफसरों की नींद उड़ी हुई है, डर है कि ऊर्जा निगम मुख्यालय ने सवाल खड़ा किया तो क्या जवाब देंगे। इससे ऊर्जा निगम को करोड़ों की चपत लगी है, वहीं उपभोक्ताओं को भी नियमित आपूर्ति नहीं मिल पा रही है।

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ऊर्जा निगम की रिपोर्ट देखने से पता चला कि 31 मार्च को खत्म हुए वित्त वर्ष 2018-2019 में बागपत के 282 गांव व आठ कस्बों में तीन हजार से ज्यादा ट्रांसफार्मर खराब हुए हैं। खराब ट्रांसफार्मर की मरम्मत पर औसत 20 हजार रुपये खर्च आता है। साफ है कि ट्रांसफार्मर खराबी से ऊर्जा निगम को छह करोड़ रुपये की चपत लगी है, वहीं हजारों उपभोक्ताओं को भी बिजली नहीं मिलने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। नया ट्रांसफार्मर लगने में कई दिन का वक्त लगता है। खराब ट्रांसफार्मरों के बदलवाने को उपभोक्ताओं को काफी परेशान होना पड़ता है। ट्रांसफार्मरों के खराब होने से कृषि उत्पादन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है। खराब ट्रांसफार्मरों में अधिकांश किसानों के नलकूपों के हैं, जिससे समय से फसलों की सिचाई नहीं हो सकी। अधीक्षण अभियंता रामबीर सिंह कहते हैं कि खराब ट्रांसफार्मरों को समय से बदलवाया गया, जिससे उपभोक्ताओं को ज्यादा दिन परेशानी न झेलने पडे़। हम ट्रांसफार्मरों की खराबी का औसत दस फीसदी से कम पर लाने का प्रयास कर रहे हैं।

इतने ट्रांसफार्मर क्यों खराब?

बागपत में ट्रांसफार्मर खराबी का औसत 15 फीसदी है। बता दें कि 20 हजार ट्रांसफार्मर हैं। यदि बिजली आपूर्ति का सिस्टम सही है तो पांच फीसदी से ज्यादा ट्रांसफार्मर खराब नहीं होने चाहिए। सवाल खड़ा होता है कि बागपत में इतने ज्यादा ट्रांसफार्मर क्यों खराब हो रहे हैं? क्या ट्रांसफार्मरोंकी क्वालिटी खराब है? या सिस्टम इतना ओवरलोड है कि ट्रांसफार्मर खराब हो रहे हैं। ऊर्जा निगम कार्यशाला के एई प्रवेश गिरी का कहना कि खराब ट्रांसफार्मरों में 70 फीसदी नलकूपों तथा तीस फीसदी आबादी के हैं। नलकूपों पर ओवरलोड होने के कारण ट्रांसफार्मर खराब होते हैं। 70 फीसदी ट्रांसफार्मर ऊर्जा निगम की कार्यशाला में मरम्मत करते हैं बाकी 30 फीसदी ट्रांसफार्मरों की मरम्मत कंपनियों से कराते हैं।

बिजली आपूर्ति में गर्मी बाधा

बागपत: सबसे ज्यादा ट्रांसफार्मर गर्मी में खराब होते हैं। ऊर्जा निगम की रिपोर्ट देखने से साफ हो जाता है कि सर्दियों में मुश्किल से 35 फीसदी तो गर्मियों में 65 फीसदी ट्रांसफार्मर खराब होते हैं। गर्मियों में तापमान बढ़ने से ट्रांसफार्मर खराब हो जाते हैं। उप केंद्रों पर लगे ट्रांसफार्मर का तापमान 60 डिसे. पार करते ही खतरा शुरू हो जाता है, लेकिन ऊर्जा निगम अफसरान ने अब गर्मियों में ट्रांसफार्मरोंका तापमान कंट्रोल में रखने को कोई कदम नहीं उठाया। गर्मी बढ़ने से ट्रांसफार्मर की खराबी में इजाफा हो सकता है, जिसका खामियाजा बिजली नहीं मिलने के रूप में उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ सकता है। एक्सईएन राजबीर सिंह आर्य का कहना है कि हमने 33 केवी उप केंद्रों पर लगे सभी पांच और दस एमवीए क्षमता के ट्रांसफार्मरों की चेकिग करा रहे हैं। जिन ट्रांसफार्मरों का तापमान ज्यादा हो सकता है, उन्हें ठंडा रखने को कूलर लगवाने का प्रबंध करेंगे।


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