न फेंकिए जिगर का टुकड़ा,यहां बेबी पालना है न..
जागरण संवाददाता, बागपत: उन नवजात बच्चों का कोई अपराध नहीं, जो धरती पर आते ही मां का आं
जागरण संवाददाता, बागपत: उन नवजात बच्चों का कोई अपराध नहीं, जो धरती पर आते ही मां का आंचल और पिता का दुलार पाने के बजाय कूड़े के ढेर में फेंक दिए जाते हैं। किस्मत अच्छी हुई तो ये बच गए, वरना अधिकांश नवजात किसी पशु का निवाला बनते हैं। लेकिन अब बागपत में ऐसा नहीं होगा।
बागपत के सीएसची प्रभारी डा. विभाष राजपूत ने इसके लिए पहल की है। उन्होंने अस्पताल के बाहर बेबी पालना लगवाया है। इस स्थान को बेबी पालना कॉर्नर नाम दिया गया है। पहल के तहत उन सभी माताओं को यह संदेश दिया जा रहा है कि अगर आप अपने बच्चे को पालने में सक्षम नहीं हैं, तो उसे फेंके नहीं। बेबी पालना कार्नर में रखे हुए पालने में अपने नवजात को रख जाएं। बच्चे के पालन व पोषण की जिम्मेदारी सरकार वहन करेगी।
ऐसे हुई शुरूआत
लावारिस मिले और अनाथ नवजात शिशुओं को आसरा देने के लिए सीएचसी, पीएचसी और जिला अस्पताल में 'पालना शिशु स्वागत केंद्र' खोले जाने थे। स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसके लिए आदेश जारी किए थे। इसके पीछे उद्देश्य था कि जो जिसको लोग गली-मोहल्ले और सड़कों पर छोड़कर चले जाते हैं, वे नवजातों को इस पालने में छोड़कर जाएं। शासनादेश आया, और फाइलों में कैद हो गया।
डा. विभाष बताते हैं कि पिछले कई सालों में उनकी आंखों के सामने कई बच्चे कूड़े के ढेर में मिले, कई को मांसाहारी जानवरों ने निवाला बना लिया, इस लिहाज से उन्हें यह आदेश नवजातों को जीवनदान देने का अच्छा जरिया लगा, और उन्होंने अपने अस्पताल में बेबी पालना कार्नर बनवाया, यहां पर बेबी पालना रखा गया है। डा. विभाष कहते हैं कि अगर कोई अपने नवजात को पालने में असमर्थ हो, तो वह नवजात को फेंके नहीं। नवजात को यहां पालने में रख जाए। स्वास्थ्य विभाग बच्चे को अनाथालय में भेजेगा, ताकि उसका सही से पालन पोषण कराया जा सके।
जब मिले नवजात
अग्रवाल मंडी टटीरी और सूरजपुर महनवा गांव के बीच गोदाम के पास सड़क पर कूड़े के ढेर में मिला नवजात। उसे अग्रवाल मंडी टटीरी अस्पताल में भर्ती कराया। शिशु की हालत ठीक थी
--डोला में कूड़े में मिला था नवजात, ग्रामीणों ने उठाया, उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
--हनुमान मंदिर में सिसाना रोड पर मिला था नवजात, उसे ग्रामीणों ने उठाकर उपचार कराया, बाद में अनाथालय भेजा गया।
इन्होंने कहा..
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बाहर शिशु पालना लगाया गया है। इसमें कोई भी लावारिस या अनाथ बच्चों को रख सकता है, सीएचसी बच्चे का उपचार तथा संरक्षण कर उसे उचित स्थान पर भिजवाएगा, ताकि बच्चे का ठीक तरह पालन पोषण हो सके।
डा. विभाष राजपूत, प्रभारी, सीएचसी।