Move to Jagran APP

बढ़ती अबादी से सिमटते लगे संसाधन

बढ़ती आबादी के कारण संयुक्त परिवार टूट रहे हैं जिससे कृषि भूमि का बंटवारा बढ़ा है। साल 2001 में जहां 90 हजार किसान थे वहीं अब इनका आंकड़ा 1.16 लाख पार करने को बेताब है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 10 Jul 2019 11:38 PM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 06:31 AM (IST)
बढ़ती अबादी से सिमटते लगे संसाधन
बढ़ती अबादी से सिमटते लगे संसाधन

बागपत, जेएनएन। बढ़ती आबादी के कारण कृषि भूमि का बंटवारा बढ़ा है। साल 2001 में जहां 90 हजार किसान थे, वहीं अब इनका आंकड़ा 1.16 लाख पार करने को बेताब है। कृषि जोत बंटने से 80 हजार किसानों के पास औसत ढाई से एक एकड़ तक जमीन है। मात्र दस हजार किसानों के पास दो हेक्टेयर से ज्यादा जमीन है। खेती से युवाओं का तेजी से पलायन हो रहा, क्योंकि जमीन के छोटे से टुकड़े पर खेती करके ज्यादा आमदनी प्राप्त नहीं कर सकते। कब तक बढ़ेगा उत्पादन

loksabha election banner

बढ़ती आबादी नहीं थमी तो भविष्य में खाद्यान्न की समस्या पैदा होगी। साल 2001 में बागपत में दो लाख मीट्रिक टन से कम खाद्यान उत्पाद था, लेकिन वर्तमान में 2.71 लाख मीट्रिक टन है। साल 2001 में 1.20 करोड़ कुंतल गन्ना उत्पादन था पर अब छह करोड़ कुंतल है। कब तक उत्पादन बढ़ाएंगे? 20 साल पहले 125 राशन की दुकानें थीं पर अब 429 दुकानें हैं। फिर भी लोगों को राशन नहीं मिलने की शिकायत रहती है। जानिए बिजली का हाल

साल 2001 में बागपत में 36 विद्युत उप केंद्र और उपभोक्ता महज 80 हजार थे। एक साल में 400 मिलियन यूनिट बिजली उपभोक्ताओं को मिली। वर्तमान में 80 विद्युत उप केंद्र हैं और 2.40 लाख उपभोक्ता हैं। एक साल में बागपत को 1400 मिलियन यूनिट बिजली मिली। फिर भी लोगों को बिजली नहीं मिलने की शिकायत रहती है। बीस साल में ढाई गुना विद्युत उप केंद्र होने के बावजूद पावर सिस्टम ओवरलोड होने से 24 घंटे बिजली आपूर्ति संभव नहीं। स्कूल बढ़े, लेकिन बच्चे वंचित

बागपत में साल 2001 में 580 प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्कूल तथा 90 माध्यमिक विद्यालय तथा 10 महाविद्यालय थे। आज बागपत में 1272 प्राथमिक तथा उच्च प्राथमिक स्कूल तथा 143 माध्यमिक विद्यालय तथा 104 महाविद्यालय हैं। फिर भी सबको शिक्षा मयस्सर नहीं। बागपत में 30 हजार बच्चे बिना मान्यता के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षा पाते हैं। 18 साल से उपर के 40 फीसदी बच्चों को माध्यमिक शिक्षा मयस्सर नहीं। इंटर पास 40 फीसदी युवाओं को को डिग्री कालेजों में प्रवेश नहीं मिल पाता है। कम पड़ रहे अस्पताल

बीस साल पहले बागपत में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 21 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा 158 उप केंद्र थे। वर्तमान में सात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 224 उपकेंद्र तथा जिला अस्पताल है। पर ये स्वास्थ्य संसाधन कम पड़ते जा रहे है, क्योंकि आबादी बढ़ने से मरीजों की संख्या भी बढ़ी है। सरकारी अस्पतालों में एक साल में 2.58 लाख मरीज पहुंचे हैं। सड़क एवं परिवहन

साल 2001 में बागपत में महज 820 किमी पक्की सड़कें थीं, लेकिन आज पक्की सड़कें 1817 किमी हैं। दिल्ली-यमुनोत्री मार्ग और बागपत-मेरठ मार्ग को नेशनल हाईवे का दर्जा मिल चुका है। देश का सबसे तेज रफ्तार ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे मिला है। लेकिन जनसंख्या विस्फोट के कारण सड़कों पर चौतरफा वाहनों की भीड़ है। बीस साल पहले दिल्ली-सहारनपुर वाया बागपत-शामली रेल मार्ग पर दस ट्रेन दौड़ती थी, लेकिन अब 26 ट्रेन दौड़ रहीं हैं। बावजूद इसके रेल के डिब्बों में पैर रखने को जगह नहीं। हवा और पानी का संकट

बीस साल पहले बागपत की धरती में सालाना भूजल उपलब्धता 70 हजार हेक्टेयर मीटर थी लेकिन अब 49 हजार हेक्टेयर मीटर है। बढ़ती आबादी से जलदोहन बढ़ा है और भूजल स्तर में 25 से 30 मीटर गहरे तक पहुंच गया है। बीस साल पहले नगर निकायों में जहां प्रति व्यक्ति 144 लीटर पानी उपलब्ध था वहीं अब 70 से 80 लीटर प्रतिदिन का औसत है। गत बीस सालों में 500 से ज्यादा तालाबों पर कब्जा हुआ है। हजारों पेड़ों पर आरा चला है। पर्यावरण संरक्षण बिगड़ा है। इन्होंने कहा..

बढ़ती आबादी सब समस्याओं की जड़ है। संसाधन चाहे कितने भी बढ़ा लो लेकिन जब तक बढ़ती आबादी पर ब्रेक नहीं लगेगा, तब तक समस्या रहेगी। परिवार नियोजन के लिए व्यापक प्लान बनाया है। महिला एवं पुरुष नसबंदी कराने तथा कॉपर टी और छाया टेबलेट बंटवाएंगे। बढ़ती आबादी कुपोषण और बीमारी की भी जड़ है। यह बात आम जन को समझाएंगे।

-डा. सुषमा चंद्रा, सीएमओ। आज देश की सबसे बड़ी समस्या जनसंख्या विस्फोट है। जनसंख्या नियंत्रण कानून बनना चाहिए। बढ़ती जनसंख्या से सामाजिक ताना-बना और पर्यावरण बिगड़ा है। बेरोजगारी बढ़ी है और जमीन टुकड़ों में बंटी है। यदि बढ़ती आबादी पर लगाम नहीं लगी तो वह दिन दूर नहीं, जब भयावह स्थिति से हर किसी को गुजरना पड़ेगा।

-डा. अनिल कुमार, प्राचार्य।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.