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'आंखें' होंगी मां और गुरुओं की..इम्तिहान देगा आर्यन

ढाई साल की उम्र में चली गई रोशनी, ग्लूकोमा हुआ। सुनकर याद किया सबक, इस साल देंगे दसवीं की परीक्षा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Feb 2019 12:29 AM (IST)Updated: Thu, 07 Feb 2019 12:37 AM (IST)
'आंखें' होंगी मां और गुरुओं की..इम्तिहान देगा आर्यन
'आंखें' होंगी मां और गुरुओं की..इम्तिहान देगा आर्यन

जहीर हसन, बागपत : जज्बा और जुनून के सामने मुश्किलों का पहाड़ भी बौना हो जाता है। इस बात को साबित किया है आर्यन ने। बचपन में आंखों की रोशनी चली गई। स्कूल भी गया लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद उन्होंने खुद इसका विकल्प तलाशा कि घर पर मां किताब पढ़ेगी और वह सबक को याद करेगा। मेहनत रंग लाई और नौवीं तक इसी तरह पढ़ाई पूरी कर ली। इस साल वह दसवीं की परीक्षा देंगे। बहुत खूब आर्यन! तुम्हारे इस जज्बे को सलाम और सलाम उस मां को जिसने तुम्हारे जैसा होनहार बेटा जना।

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ढाई साल की उम्र में हुई बीमारी

लुहारी गांव निवासी आर्यन ढाई साल की उम्र में एलर्जी का शिकार हो गया। आंखों की रोशनी कम होने लगी। मां सोनिया ने इलाज कराया लेकिन काफी पैसा खर्च होने के बावजूद फायदा नहीं हुआ। दिल्ली एम्स में भर्ती कराया तो पता चला कि उसे ग्लूकोमा बीमारी है। रोशनी नहीं लौटी तो निराश मां-बेटा घर लौट आए। डाक्टरों ने उन्हें 90 फीसदी से ज्यादा दृष्टिहीनता का सर्टिफिकेट भी थमा दिया। मां ने पढ़ा..बेटे ने किया याद

मां ने पांच साल की उम्र में आर्यन को पाठशाला में दाखिल कराया, लेकिन यहां न तो दृष्टिहीन बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष शिक्षक थे और न विशेष पुस्तकें। आर्यन स्कूल तो जाता था लेकिन अन्य बच्चों के पढ़ने का शोर सुनकर मन मसोसकर रह जाता। एक दिन आर्यन ने मां से जिद की कि वह उसे किताब पढ़कर सुनाए। उसके बोल सुनकर वह याद करेगा। एमए बीटीसी पास मां सोनिया शिक्षामित्र हैं। उन्हें इकलौते दृष्टिहीन बेटे का आइडिया पसंद आया। स्कूल से लौटने के बाद सोनिया किताब पढ़कर सुनातीं और आर्यन उस सबक को याद करता। मां ने हाथ पकड़कर लिखना भी सिखाया और गणित के सवाल मुंह जुबानी हल करने सिखाए। कक्षा पांच के बाद इंडियन पब्लिक स्कूल बड़ौत में प्रवेश दिलाया तो शिक्षकों ने भी मां की तरह सहयोग किया। आर्यन अब इसी स्कूल में दसवीं कक्षा में हैं।

अब देंगे हाई स्कूल की परीक्षा

इस साल वह परीक्षा केंद्र केएचआर इंटर कालेज खामपुर लुहारी में दसवीं की परीक्षा देंगे। विभाग ने उन्हें सहायक की व्यवस्था की है। सोनिया कहती हैं, आमदनी का कोई जरिया नहीं है। पूछिए मत..हमें कितना संघर्ष करना पड़ रहा है। आर्यन कहते हैं कि उनका लक्ष्य शिक्षक बनना है, ताकि कोई दृष्टिहीन बच्चा पढ़ने से वंचित न रहे। हमने बोर्ड सचिव से अनुमोदन लेकर दृष्टिहीन आर्यन को परीक्षा में रायटर (सहायक) रखने की अनुमति दे दी है। सहायक परीक्षा में सवाल पढ़कर सुनाएगा। आर्यन बोलकर इनके जवाब लिखवाएगा।

-बिजेंद्र कुमार, जिला विद्यालय निरीक्षक


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