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उज्ज्वल गोत्र के गांवों में 15 दिन पूर्व गोवर्धन पूजा

क्षेत्र के उज्ज्वल गोत्र के आधा दर्जन गांवों में सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Oct 2021 08:43 PM (IST)Updated: Wed, 20 Oct 2021 08:43 PM (IST)
उज्ज्वल गोत्र के गांवों में 15 दिन पूर्व गोवर्धन पूजा

बागपत, जेएनएन। क्षेत्र के उज्ज्वल गोत्र के आधा दर्जन गांवों में सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा का निर्वहन करते हुए ग्रामीणों ने दीपावली से पंद्रह दिन पूर्व पूजा कर गोवर्धन पर्व मनाया।

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उज्ज्वल गोत्र के सिरसलगढ, हजूराबाद गढ़ी, मवीकला, मवीखुर्द, बुढ़सैनी, मतानतनगर, नन्दपुरा आदि गांवों में वर्षों से चली आ रही परंपरा को कायम रखते हुए ग्रामीणों ने बुधवार को विधिवत रूप से गोवर्धन पूजा कर त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया। इस दौरान ओमपाल उज्ज्वल, बादल मनोज, सुधीर, गुलाब, गौरव, बाबूराम, बिट्टू पंडित, प्रवेश, गौरव भारद्वाज आदि मौजूद रहे। क्या है पर्व पहले मनाने का कारण

मवीकलां गांव के सतबीर उज्ज्वल, धर्मपाल आर्य, सुरेंद्र प्रधान, सिरसलगढ़ के धनपाल, उपेंद्र, जितेंद्र, हजूराबाद के ओमपाल उज्ज्वल, धीरज उज्ज्वल, मवीखुर्द के ब्रजपाल आदि ने बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व उनके पूर्वज गंगापार से बैल खरीदने गए। जाते समय गंगा में जलस्तर सामान्य था। बैल खरीदकर वापस गंगा किनारे पहुंचे तो गंगा उफान पर थी। कई दिन बाद भी जलस्तर कम नहीं हुआ। इसके बाद सबने गंगा मैय्या से रास्ता देने की प्रार्थना की। साथ ही यह भी वचन दिया कि यदि गंगा पार करने के लिए रास्ता मिला तो वे दीपावली से 15 दिन पूर्व गोवर्धन पूजा करेंगे। इस संकल्प के बाद जलस्तर कम हो गया और सभी बैल लेकर गंगा पार हो गए।

तब से आज तक अपने पूर्वजों को दिए वचन को निभाते हुए पर्व मना रहे हैं। राजपूत समाज ने की गोवर्धन की पूजा

शहर के पुराना कस्बे में दीपावली से 15 दिन पहले बुधवार को गोवर्धन की पूजा अर्चना की गई। राजपूत समाज के लोग सामूहिक रूप से चौहान चौपाल पर गोबर से गोवर्धन बनाया। यहां पर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। परिक्रमा करते हुए देवी-देवताओं के जयकारे लगाए गए। पूजा के दौरान समाज के लोगों ने विश्व में शांति की कामना की और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की। गोवर्धन की पूजा करने के लिए जहां बच्चों में उत्साह था, वहीं युवाओं ने भी इस परंपराओं को आगे बढ़ाया। बुजुर्गो ने युवाओं को इस परंपराओं के बारे में जानकारी दी। इस दौरान चौधरी प्रेमपाल, चौधरी प्रताप, राकेश चौहान, श्रीनिवास, भान सिंह, बाबी चौधरी, राज सिंह चौधरी आदि मौजूद रहे।


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