सतीश से सीखो खेती के गुर,पाओगे मुनाफा
संवाद सूत्र, छपरौली (बागपत): सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। गन्ना बेल्
संवाद सूत्र, छपरौली (बागपत): सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रयासरत है। गन्ना बेल्ट के किसानों को सह फसली खेती करने को प्रेरित किया जा रहा है। वहीं जिले के ग्राम चौबली निवासी किसान संजीव कुमार किसानों को आय चौगुनी करने का नुस्खा बता रहे हैं। संजीव सब्जियों की खेती करते हैं। उन्होंने प्राइवेट कंपनियों से सब्जी खरीदने का करार कर रखा है। इससे उन्हें सब्जियां बेचने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता। संजीव से प्रेरित होकर अन्य किसान भी सब्जी की खेती करने की तैयारी में जुटे हैं।
बरसों से परंपरागत खेती कर रहे चौबली गांव के फकीरचंद के बेटे सतीश कुमार गन्ने की फसल से उकताकर फल, सब्जी, धान, दलहन आदि सह फसली सब्जियों का उत्पादन कर चौगुनी कमाई कर रहे हैं। वर्ष 1980 में कक्षा आठ पास कर सतीश कुमार खेतीबाड़ी के काम में जुट गए थे। उनके पास आठ हेक्टेयर कृषि भूमि है। वर्ष 2008 तक तक गन्ने की फसल में दुर्दशा व बकाया भुगतान अरसे तक नहीं मिलने से परेशान होकर उन्होंने दूसरी फसलों का रुख कर लिया। उन्होंने धान, गेहूं, फूल, दलहन, तिलहन और नींबू आदि की खेती शुरू कर दी। पहले काफी दिक्कत पैदा हुई, बाद में मुनाफा होता देखकर उनका हौसला बढ़ गया। उनके साथ मदर डेयरी का केले व सब्जियों की सप्लाई का अनुबंध है।
मिले कई पुरस्कार
सतीश ने बताया कि गांव के किसान आधुनिक खेती से जुड़ जाएं तो सिसाना में स्थित मदर डेयरी का सेंटर उनके गांव में ही स्थापित हो जाए। 2010-11 में उन्हें किसान सम्मान दिवस के अवसर पर प्रथम पुरस्कार, 2016-17 में कृषि विभाग जनपद के किसान समारोह में प्रथम पुरस्कार एवं दो मई 2018 ग्राम स्वराज अभियान के अवसर पर आयोजित किसान कल्याण कार्यशाला में जनपद बागपत में प्रशस्ति पुरस्कार मिला।
ऐसे लेते हैं मुनाफा
सतीश ने सब्जियों की खेती के लिए ड्रिप इरिगेशन, म¨ल्चग सीट (खर-पतवार उन्मूलन एवं मिट्टी का तापक्रम बनाए रखने के लिए) जैसी आधुनिक तकनीक अपनाई। इससे उनकी पैदावार चौगुनी हो गई। इस तकनीक के उपयोग से वह सालाना परंपरागत खेती से चार गुना अधिक कमा रहे हैं।
सतीश कुमार ने बताया कि 15 बीघा भूमि में गोभी के बाद बैंगन की सब्जी उगाई है। 10 बीघा भूमि में धान के बाद मेथी, 15 बीघा भूमि में धान के बाद मूली, आठ बीघा भूमि में धान के बाद सरसों और जालीदार खेती पर पहले करेला और उसके बाद लौकी की फसल ले रहे हैं। 20 बीघा भूमि में केले की विभिन्न किस्मों के बाग हैं। ऑफ सीजन में भी केले की खेती से लगभग 50 हजार रुपये प्रति महीना की आमदनी होती है। वह बताते हैं कि लोटनल व म¨ल्चग विधि से पौधे को पानी, खाद व खर-पतवार की समस्या नहीं रहती है।