इस सरकारी स्कूल में फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं बच्चे
अपनी अंग्रेजी तथा अन्य योग्यताओं से बच्चे पूरे जिले को आकर्षित कर रहे हैं, साथ ही इस मिथक को भी तोड़ रहे हैं कि सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा नहीं दी जा सकती।
मनोज कलीना, बिनौली (बागपत):
किसी सरकारी स्कूल में पहुंचते ही बच्चे अंग्रेजी में अभिवादन करें.. सिर्फ अभिवादन ही नहीं अंग्रेजी में फर्राटेदार बात करें, तो क्या आपको यकीन होगा? शायद नहीं, लेकिन ऐसा है। बागपत जनपद स्थित बरनावा का जूनियर हाईस्कूल ऐसा ही है। यहां बच्चे धारदार अंग्रेजी बोल रहे हैं। यह देखकर ग्रामीण कहते हैं कि अवश्य ही यह बच्चे इंग्लिश मीडियम के महंगे स्कूल में पढ़ रहे होंगे, लेकिन मेधा की इस बगिया को देहात क्षेत्र के बरनावा में सजाया गया है और इसकी बागवान हैं शिक्षिका शालू ¨सह। उनकी कड़ी मेहनत के बाद बगिया में अंकुर आने लगे हैं, और अपनी अंग्रेजी तथा अन्य योग्यताओं से बच्चे पूरे जिले को आकर्षित कर रहे हैं, साथ ही इस मिथक को भी तोड़ रहे हैं कि सरकारी स्कूल में प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा नहीं दी जा सकती।
ऐसे तैयार हो रहे मेधावी
दरअसल शालू ¨सह अंग्रेजी माध्यम से पढ़ी हैं। ग्रेजुएशन भी विज्ञान विषय से किया है। अपनी शिक्षा का प्रयोग वह बच्चों को पढ़ाने में कर रही हैं। इंग्लिश स्पी¨कग का विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, नतीजा यह है कि बच्चे धारदार अंग्रेजी बोलते हैं। वह विज्ञान के नए प्रयोग एवं तकनीक का इस्तेमाल कर प्रोजेक्ट बनवाती हैं। नई तकनीक में पारंगत शालू इंटरनेट के जरिये उन नवीनतम प्रयोगों को अपनाती है, जिससे बच्चों को कोई भी पाठ्यक्रम आसानी से समझ में आ जाता है।
ये हैं स्कूल की खूबियां
--स्कूल में विज्ञान प्रयोगशाला बनाकर नव प्रयोगों व तकनीकी से रूबरू कराया गया
--प्रतिदिन कंप्यूटर कक्ष में इंटरनेट के द्वारा शिक्षा दी जाती है
--मंडलीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी में स्कूल के चार छात्र-छात्राएं प्रथम स्थान पर रहे
--शनिवार के दिन स्कूल में होता है नो बैग डे, पियानो, गिटार, हारमोनियम व ढोलक आदि का प्रशिक्षण मिलता है
--संगीत व नृत्य, सिलाई बुनाई, क्राफ्ट के नए आयाम, कैरम बोर्ड, चैस आदि के द्वारा मनोरंजन कराया जाता है
--बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण आदि के प्रति भी बच्चों को जागरूक किया जा रहा है
इन्होंने कहा..
अध्यापिका शालू ¨सह कहती हैं कि बच्चों को नई तकनीक व युक्तियों से पढ़ाकर उनकी प्रतिभा को निखारकर एक आयाम देना है। स्कूल में विभिन्न गतिविधियां कराकर बच्चों की झिझक दूर कर उन्हें आत्मनिर्भर करना उनका उद्देश्य है।
अभिभावक सलीम सलमानी कहते हैं कि बड़े स्कूलों में पढ़ाने का उनका सामर्थ्य नही है। लेकिन हमारे बच्चे स्कूल की टीचर की मेहनत से बहुत योग्य हो गये हैं।
अभिभावक देवेंद्र कुमार कहते हैं कि अध्यापक मेहनत करें तो सरकारी स्कूलों का कोई मुकाबला नहीं कर सकता।
अभिभावक इसरत कहती हैं हमारी दोनों बेटियां इसी सरकारी स्कूल में ही पढ़कर काबिल बन रही हैं।