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खट्टा गोशाला में ठंड में तीन गोवंश मरे, बिफरे संत

खट्टा प्रहलादपुर महेश मंदिर में बनी अस्थाई गोशाला में ठंड से तीन गोवंश की मौत होने से संत आक्रोशित है। संतों ने जल्द गोवंश को ठंड से बचाव की व्यवस्था नहीं होने पर आंदोलन को चेतावनी दी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Dec 2019 09:32 PM (IST)Updated: Sat, 14 Dec 2019 09:32 PM (IST)
खट्टा गोशाला में ठंड में तीन गोवंश मरे, बिफरे संत

बागपत, जेएनएन। खट्टा प्रहलादपुर महेश मंदिर में बनी अस्थायी गोशाला में ठंड से तीन गोवंश की मौत होने से संत आक्रोशित हैं। संतों ने जल्द गोवंश को ठंड से बचाव की व्यवस्था नहीं होने पर आंदोलन को चेतावनी दी है।

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गांव के बाहर जंगल में स्थित महेश मंदिर की गोशाला में प्रशासन ने साझा किया था। गोशाला में 35 गोवंश रखने की व्यवस्था है, पर 100 से अधिक गोवंश रखे हुए हैं। सर्दी चरम पर है, पर प्रशासन की तरफ से बचाव की कोई व्यवस्था नहीं है। दो दिन पूर्व हुई बारिश का पानी आज भी परिसर में भरा है। रात में ठंड से दो गोवंश संग तीन दिन के बछड़े की भी ठंड के कारण मौत हो गई। महंत एकादशगिरी महाराज का आरोप है कि प्रशासन की तरफ से ठंड से बचाव तो दूर चारा की भी समुचित व्यवस्था नहीं की गई है। जैसे तैसे कर गोवंशों को रखा जा रहा है। पास में ही करोड़ों की लागत से गोशाला बनाई है, लेकिन गोवंशों को वहां नहीं रखा जा रहा है। चेतावनी दी अगर प्रशासन जल्द पशुओं को दूसरी गोशाला में सिफ्ट नहीं करता है तो ठंड से बचाव व चारे की भरपूर व्यवस्था करें। व्यवस्था नहीं हुई तो वे कलेक्ट्रेट पर आंदोलन करने को मजबूर होंगे। व्यवस्थाओं को सरकारी मशीनरी लगा रही पलीता

महंत का कहना है कि प्रशासन की तरफ से स्थाई, अस्थाई गोशाला में गोवंश को रखने की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। परंतु अधिकांश कर्मचारी गोशाला तक पहुंचने के बाद बजाए दूर से ही व्यवस्था को पूरा करने की कागजी खानापूर्ति कर लेते हैं। उन्होंने गोवंश के भूख, ठंड से मरने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। अगर डीएम या अन्य अधिकारी खुद गोशालाओं का जायजा लें तो शायद अधीनस्थों की कार्यशैली का पता लगे। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि व्यवस्था के लिए निर्देश दिए हैं, लेकिन खर्च करने को बजट नहीं मिला। जब रकम नहीं होगी तो व्यवस्था कैसे करेंगे।

बोले संत, हो रहा अत्याचार

मंदिर में मौजूद संतों का कहना है कि प्रशासन गोशाला में गोवंशों को रखकर उन पर अत्याचार कर रहा है। जब गोवंश खुले आसमान के नीचे रहता था तो अपने चारे की व्यवस्था कर लेता था। परंतु गोशाला में आने के बाद नियमित चारा नहीं मिल पाता है। इसके अलावा ठंड से बचने की पर्याप्त व्यवस्था भी नहीं है। ऐसा कर प्रशासन गोवंशों पर अत्याचार कर रहा है। अगर प्रशासन गोवंश को बचाना चाहता है तो उन्हें ठंड व भूख के कारण मरने से बचाने को व्यवस्था करनी चाहिए।


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