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बंपर गन्ना पैदावार होने से फूले मिल प्रबंधन के हाथ-पैर

जागरण संवाददाता, बागपत: गन्ने की बंपर पैदावार से चीनी मिलों के प्रबंधन के हाथ-पैर फूलने लगे

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Sep 2018 10:57 PM (IST)Updated: Sun, 23 Sep 2018 10:57 PM (IST)
बंपर गन्ना पैदावार होने से फूले मिल प्रबंधन के हाथ-पैर
बंपर गन्ना पैदावार होने से फूले मिल प्रबंधन के हाथ-पैर

जागरण संवाददाता, बागपत: गन्ने की बंपर पैदावार से चीनी मिलों के प्रबंधन के हाथ-पैर फूलने लगे हैं। बागपत की तीनों चीनी मिलों ने गत सीजन में जितना गन्ना पेराई की,अब उससे कम गन्ना आवंटन का प्रस्ताव गन्ना विभाग को भेजा है। कम गन्ना आवंटन कराने के पीछे तर्क दिया कि क्षमता से ज्यादा गन्ना पेराई से चीनी मिलों को घाटा होगा।

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सहकारी चीनी मिल बागपत

सहकारी चीनी मिल बागपत ने गत सीजन में 51.24 लाख कुंतल गन्ना पेराई की। वहीं अब मिल प्रबंधन ने 43.16 लाख कुंतल गन्ना आवंटन का प्रस्ताव दिया है, क्योंकि पेराई क्षमता इससे ज्यादा नहीं। बुढ़ेड़ा प्रथम, सांकलपुट्ठी-प्रथम, हिसावदा प्रथम, पूठड़, खेकड़ा द्वितीय, बसी तृतीय, खेड़की और डौला द्वितीय क्रय केंद्र अन्य चीनी मिलों को आवंटन का प्रस्ताव भेजा है।

सहकारी चीनी मिल रमाला

सहकारी चीनी मिल रमाला ने गत सीजन में 48.42 लाख कुंतल गन्ना पेराई की। वही अब 49 लाख कुंतल गन्ना आवंटन का प्रस्ताव दिया है। मिल ने अपने अशरफाबाद थल तथा कंडेरा के पांच गन्ना क्रय केंद्र अन्य चीनी मिलों को आवंटित करने का प्रस्ताव दिया है। चीनी मिल ने गत साल दस लाख कुंतल ज्यादा गन्ना पेराई की थी।

मलकपुर चीनी मिल

मलकपुर चीनी मिल ने गत सीजन में 1.46 करोड़ कुंतल गन्ना पेराई की थी। अब इस मिल के प्रबंधन ने 1.30 करोड़ कुंतल गन्ना आवंटन का सुरक्षण प्रस्ताव गन्ना विभाग को दिया है। इस चीनी मिल ने गत साल 94 क्रय केंद्रों पर गन्ना खरीद की थी। साफ है कि मलकपुर चीनी मिल ने 16 लाख कुंतल कम आवंटन का प्रस्ताव दिया है।

कहां ले जाएंगे गन्ना

तीनों चीनी मिलों ने गत साल की पेराई के मुकाबले 32 लाख कुंतल कम गन्ना पेराई का सुरक्षण प्रस्ताव भेजा। सवाल है कि किसान इतना गन्ना कहां बेंचेंगे? साफ है कि किसानों को अपना यह गन्ना कोल्हू-क्रेशरों पर औने-पौने दाम पर बेचकर भारी घाटा उठाना पड़ेगा।

इन्होंने कहा..

गत सीजन में चीनी मिले काफी दिनों तक चली। तब चीनी परता कम आने से मिलों को भारी घाटा हुआ। किसानों का जितना सट्टा होगा उतना गन्ना खरीदा जाएगा।

-सुशील कुमार, डीसीओ।


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