Bagpat Lok Sabha Seat: चुनाव से विकास का मुद्दा गायब, जातियां हावी; जातीय समीकरणों से जीत-हार का गुणा-गणित कर रहे नेता
रालोद-भाजपा से डॉ. राजकुमार सांगवान सपा-कांग्रेस से अमरपाल शर्मा व बसपा से प्रवीण बंसल चुनाव मैदान में हैं। कोई प्रत्याशी जीत के लिए कसर नहीं छोड़ रहा। इसके बावजूद अब विकास का मुद्दा चुनावी जमीन से गायब है। यदि अपवाद छोड़ दें तो पक्ष और विपक्ष में कोई भी दमदारी से न विकास के काम गिना रहा है और न विरोधी उन कामों को हथियार बना रहा जो होने चाहिए।
Bagpat Lok Sabha Seat: जहीर हसन, जागरण बागपत। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान में कुछ ही दिन बचे हैं, लेकिन शहर से लेकर गांवों तक खामोशी की चादर ओढ़े हैं। कहीं कोई चुनावी शोरगुल नहीं सुनाई दे रहा। साल 2014 के बाद पहली बार ऐसा हुआ है, जब चुनाव से विकास का मुद्दा गायब है और जातियां हावी हैं। नेता ही नहीं आमजन भी विकास के बजाय जातीय समीकरणों के जरिए जीत-हार का गुणा-गणित लगा रहे हैं।
मुंबई पुलिस कमिश्नर का पद त्याग कर डॉ. सत्यपाल सिंह ने वर्ष 2014 में चुनाव मैदान में ताल ठोकते ही बागपत की बदहाली को मुद्दा बना चुनावी रथ दौड़ाया। तब चौधरी अजित सिंह न केवल चुनाव हारे बल्कि तीसरे स्थान पर खिसक गए।
इसके बाद बागपत में ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, दिल्ली सहारनपुर नेशनल हाईवे, मेरठ-बागपत हाईवे, अस्पतालों के उच्चीकरण, मेडिकल कालेज निर्माण को स्वीकृति, केंद्रीय विद्यालय निर्माण, रोडवेज बस अड्डा स्वीकृति, रमाला चीनी मिल में नया प्लांट, स्टेडियम, डिग्री कालेज, आइटीआइ निर्माण हुआ। यमुना पुल निर्माण, रेल लाइन पर विद्युतीकरण आदि विकास कार्य हुए।
डॉ. सत्यपाल सिंह ने वर्ष 2019 के चुनाव में इन कार्यों को उपलब्धि बताते हुए भविष्य में और बेहतर विकास का सपना दिखाकर चुनाव लड़ा। इसका परिणाम हुआ कि डॉ. सत्यपाल सिंह चुनाव जीत गए। बसपा-सपा का साथ मिलने पर भी रालोद अध्यक्ष जयन्त चौधरी 23 हजार वोटों से चुनाव हार गए।
रालोद के एनडीए का हिस्सा बनने से पहले तक भी बागपत में विकास का ही मुद्दा गूंज रहा था। 26 अक्टूबर 2023 को मुख्यमंत्री ने कई बड़ी परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया था। डॉ. सत्यपाल सिंह तथा भाजपा कार्यकर्ता गांव-गांव घूम विकास की बात करते नहीं थकते थे, लेकिन धीरे-धीरे विकास का मुद्दा भी विमर्श से बाहर हो गया है।
अब रालोद-भाजपा से डॉ. राजकुमार सांगवान, सपा-कांग्रेस से अमरपाल शर्मा व बसपा से प्रवीण बंसल चुनाव मैदान में हैं। कोई प्रत्याशी जीत के लिए कसर नहीं छोड़ रहा। इसके बावजूद अब विकास का मुद्दा चुनावी जमीन से गायब है।
यदि अपवाद छोड़ दें तो पक्ष और विपक्ष में कोई भी दमदारी से न विकास के काम गिना रहा है और न विरोधी उन कामों को हथियार बना रहा, जो होने चाहिए।
आर्थिक कारिडोर गायब
12 हजार करोड़ रुपये से दिल्ली-देहरादून आर्थिक कारिडोर निर्माणाधीन है। चुनाव से पहले खूब सुर्खियों में था, लेकिन अब प्रचार में गायब है।