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करोड़ों खर्च के बावजूद बेसहारा गोवंश से मुक्ति नहीं

करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद भी बेसहारा गोवंश सड़कों और खेतों में घूमता नजर आता है। बीस हजार से ज्यादा बेसहारा पशु जहां किसानों की करोड़ों रुपये की फसल चट कर गये हैं वहीं सड़कों पर दुर्धटना का सबब भी बने हैं। निबाली निवासी प्रताप सिंह गुर्जर बताते हैं कि बेसहारा पशुओं से पुसल बचाने को प्रति हेक्टयर 50 हजार रुपये तारबंदी के खर्च करने पड़े।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 10:22 PM (IST)Updated: Wed, 03 Apr 2019 06:31 AM (IST)
करोड़ों खर्च के बावजूद बेसहारा गोवंश से मुक्ति नहीं
करोड़ों खर्च के बावजूद बेसहारा गोवंश से मुक्ति नहीं

जागरण संवाददाता, बागपत : करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद बेसहारा गोवंश सड़कों और खेतों में घूमता नजर आता है। बीस हजार से ज्यादा बेसहारा पशु जहां किसानों की करोड़ों रुपये की फसल चट कर गये हैं वहीं सड़कों पर दुर्धटना का सबब भी बने हैं। निबाली निवासी प्रताप सिंह गुर्जर बताते हैं कि बेसहारा पशुओं से फसल बचाने को प्रति हेक्टयर 50 हजार रुपये तारबंदी के खर्च करने पड़े। इसके बावजूद भी बेसहारा पशुओं से फसल बचाना मुश्किल हो गया। अहमदशाहपुर पदड़ा गांव के प्रधान श्रद्धानंद त्यागी बताते हैं कि आवारा पशुओं से हमारे गांव में 200 से ज्यादा बेसहारा पशु हैं। इनमें से 100 पशुओं को पकड़कर हम तीन माह से घेर में रखे हुए हैं लेकिन विकास विभाग से आज तक कोई खर्च नहीं मिला।

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सिसाना गांव निवासी महेंद्र सिंह और राजेंद्र सिंह बताते हैं कि बेसहारा पशुओं ने यमुना खादर क्षेत्र में उन समेत तमाम किसानों की आधे से ज्यादा गेहूं फसल बर्बाद कर दी है। हमीदाबाद के विनोद और क्यामपुर के सोनू तथा बली निवासी अमित गुर्जर ने कहा कि सरकार से मांग के बावजूद भी बेसहारा गोवंश को गोशाला में नहीं भेजा गया। बेसहारा गोवंश के कारण मेरठ-बागपत हाईवे और दिल्ली-यमुनोत्री हाईवे, चांदीनगर-बागपत मार्ग समेत तमाम सड़कों पर आए दिन दुर्घटना होती रहती हैं।

गौरतलब है कि किसानों ने क्यामपुर, धनौरा सिल्वरनगर, निबाली, गाधी व दोघट समेत अनेक गांवों में प्राथमिक स्कूलों में पशु पकड़कर बंद रखे। वहीं सीडीओ पीसी जायसवाल ने बताया कि बागपत में 19 निजी गोशाला हैं। डेढ़ दर्जन गांवों में गो-आश्रय स्थल खुलवाए। करीब चार हजार बेसहारा गोवंश गोशालाओं में रखा गया है। करीब 70 लाख रुपये खर्च हो चुका है। एक दर्जन और गांवों में गो-आश्रय स्थल खुलवाने का काम चल रहा है।


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