आसिफ हत्याकांड के दोनों आरोपितों पर दोष सिद्ध
बागपत: खेकड़ा क्षेत्र के सांकरौद गांव के सवा पांच साल पूर्व पांचवीं के छात्र आसिफ की हुई हत्या के मामले में आरोपितों पर दोष सिद्ध हो गया है।
बागपत: खेकड़ा क्षेत्र के सांकरौद गांव के सवा पांच साल पूर्व पांचवीं के छात्र आसिफ की हुई हत्या के मामले में अदालत ने सोमवार को साक्ष्य के आधार पर दोनों आरोपितों को दोषी मान लिया है। उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में लेकर जेल भेजा गया। सजा के प्रश्न पर 23 जनवरी को सुनवाई होगी।
एडीजीसी अनुज ढाका ने बताया कि आरोपित कृष्ण व इट्टो उर्फ जितेंद्र ने आसिफ की बलकटी व डंडे से प्रहार कर हत्या की थी। पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। यह केस एडीजे/फास्ट ट्रैक कोर्ट द्वितीय आबिद शमीम की कोर्ट में चल रहा है। दोनों आरोपित जमानत पर जेल से छूटे हुए थे। वादी समेत सात गवाहों की अदालत में गवाही हुई। कोर्ट ने सोमवार को केस की सुनवाई करते हुए साक्ष्य के आधार पर दोनों आरोपितों को दोषी माना।
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यह था मामला
बागपत : सांकरौद गांव के इस्लाम ने पुलिस को दी तहरीर में बताया था कि उसका बेटा आसिफ (12) दो नवंबर 2013 की शाम मकान के सामने रास्ते में खड़ा हुआ था। गांव के दो युवक कृष्ण पुत्र महा¨सह व इट्टो उर्फ जितेंद्र पुत्र रणधीर वहां पर पहुंचे और दीपावली के पर्व पर पटाखे छुड़ाने के बहाने बेटे आसिफ को गांव के होली चौक पर ले गए। उसके बाद बेटा वापस घर नहीं लौटा। रात करीब दस बजे जानकारी करने पर इट्टो ने कहा कि सुबह को आसिफ घर आ जाएंगे, लेकिन फिर भी बेटा घर नहीं पहुंचा। छह नवंबर को जानकारी मिली कि गांव के तालाब में एक बच्चे का शव पड़ा है। शव की शिनाख्त उसके बेटे आसिफ के रूप में हुई। उसकी गर्दन व दोनों हाथ कटे हुए थे। दोनों आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
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हत्या की धमकी पर भी नहीं किया समझौता
आसिफ की हत्या के केस में फैसला आने की जानकारी मिलने पर इस्लाम अपने छोटे-छोटे तीन बच्चों के साथ कचहरी पहुंचा। इनमें 12 वर्षीय बेटा आरिफ, नौ वर्षीय बेटी अनस व सानिया शामिल थी। जिस समय अदालत ने आरोपितों को दोषी करार दिया, उस समय वह अदालत के गेट पर बाहरी ओर खड़ा था। उसने कहा कि मुझे आज इंसाफ मिला। इस दिन का ही उसको इंतजार था। आरोपितों ने केस में समझौते के लिए प्लाट व आठ-दस लाख रुपये नगद देने का लालच दिया। न मानने पर हत्या की धमकी दी गई। उसने कह दिया था जब तक उसके शरीर में सांस है, तब तक केस में समझौता नहीं होगा। वह मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन पोषण करता है। उसका मकान बिक चुका है, फिलहाल गांव में ही किराए पर रहता है। पत्नी भी बच्चों को उसके पास छोड़कर अपने मायके चली गई और भरण पोषण को खर्चे के लिए अदालत में केस दायर कर रखा है।