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उमड़ा आस्था का सैलाब और लगाई पुण्य की डुबकी

कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने मंगलवार को तड़के ही यमुना घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पौ फटने से पहले ही लाखों श्रद्धालुओं ने यमुना में डुबकी लगा पुण्य कमाया। दिन निकलने से पहले ही घरों से महिलाओं-पुरुषों और बच्चों का रैला स्नान करने को यमुना की ओर चल पड़ा। वैसे तो मंगलवार तड़के तीन बजे श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान करने का सिलसिला शुरू किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 12:14 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:07 AM (IST)
उमड़ा आस्था का सैलाब और लगाई पुण्य की डुबकी

बागपत, जेएनएन। कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने मंगलवार को तड़के ही यमुना घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। पौ फटने से पहले ही लाखों श्रद्धालुओं ने यमुना में डुबकी लगा पुण्य कमाया। दिन निकलने से पहले ही घरों से महिलाओं-पुरुषों और बच्चों का रैला स्नान करने को यमुना की ओर चल पड़ा। वैसे तो मंगलवार तड़के तीन बजे श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान करने का सिलसिला शुरू किया। यमुना में स्नान करने के बाद श्रद्धालु आरती तथा हवन करते दिखे।

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सैकड़ों अभिभावकों ने बच्चों के बालों का मुंडन कराने के बाद यमुना में स्नान किया तथा देवताओं के कपड़े यमुना में प्रवाहित किए। वैसे तो यमुना किनारे स्थित सभी 25 गांवों के घाटों पर श्रद्धालु स्नान करते रहे, लेकिन सर्वाधिक भीड़ पक्का घाट बागपत तथा निवाड़ा यमुना पुल के पास दिखी। इन दोनों स्थानों पर यमुना के दोनों तरफ यानी यूपी के बागपत तथा हरियाणा के सोनीपत जिले के गांवों के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अलग नजारा बयां करती नजर आई।

बागपत के पक्का घाट पर बागपत नगर के अलावा, अग्रवाल मंडी टटीरी, अमीनगर सराय, बालैनी, बाघू, गाधी, निरौजपुर गुर्जर, बली, निबाली, अहेड़ा, ढिकौली व पाबला, चमरावल, रटौल और हमीदाबाद समेत अनेक गांवों के श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान किया। छपरौली, कोताना, लुहारी, निनाना, नैथला और काठा, पाली व सांकरौद, सुभानपुर और मवीकलां आदि गांवों के यमुना घाटों पर लोग स्नान करते रहे। अबकी बार खास यह देखने को मिली कि शाम चार-पांच बजे तक लोगों ने यमुना में डुबकी लगाई। अनेक श्रद्धालुओं ने यमुना में स्नान के बाद प्रसाद का वितरण किया। पक्काघाट बागपत पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा को जहां पुलिस तैनात रहीं वहीं चार गोताखोर मुस्तैद रहे। नाव और नाविकों की व्यवस्था भी थी। श्रद्धालुओं को कपड़े बदलने को तंबू लगाए गए थे।


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