बीस हजार विद्यार्थी रोजाना कर रहे स्कूल 'गोल'
बागपत : सरकारी विद्यालयों में बच्चों के ठहराव को मिड-डे मील समेत भले ही तमाम योजनाएं हो, मगर बच्चे स्कूलों में रुकने को तैयार नहीं हैं। एक तरफ जहां बच्चे मिड-डे मील के मीनू को दरकिनार कर देते हैं वहीं प्रतिदिन करीब 20 हजार विद्यार्थी स्कूल से 'गोल' मार जाते हैं। हालांकि आए दिन मिड-डे मील को लेकर बवंडर मचता रहता है।
योजनाएं हो रही नाकाम
विभाग के रिकार्ड पर अगर नजर डालें तो जिले के स्कूलों से रोजाना 20 हजार बच्चे अनुपस्थित हो जाते हैं। बच्चों की यह संख्या कक्षा एक से कक्षा आठ तक है। बच्चों के ठहराव को लेकर चल रही मिड-डे मील, यूनीफार्म वितरण, नि:शुल्क पुस्तकें आदि योजनाएं बच्चों को स्कूल तक लाने में कामयाब नहीं हो पा रही हैं।
कागजों में बच्चों का ठहराव
विभागीय अधिकारी आए दिन छापामारी कर हेडमास्टरों को बच्चों की संख्या बढ़ाने और उनके ठहराव के निर्देश देते हैं, लेकिन यह सिर्फ कागजी कार्रवाई के रूप में चल रहा है। हेडमास्टर भी बच्चों के ठहराव पर कदम नहीं बढ़ा रहे हैं। नतीजतन, बंक मारने वाले बच्चों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है।
गुणवत्ता पर उठते हैं सवाल
बागपत में प्राथमिक, जूनियर व माध्यमिक विद्यालयों में करीब पौने दो लाख बच्चों को मिड-डे मील देने के लिए शासन से धन और अन्न मिलता है। प्रति बालक दो किलों गेहूं व चावल भी प्रति माह दिए जाते हैं। मिड-डे मील पर खर्च होने वाला उक्तधन ग्राम पंचायतों को दिया जाता है। ग्राम प्रधानों की देखरेख में बनने के बावजूद मिड-डे मील वितरण पूरी तरह ट्रैक पर नहीं आया है। अधिकांश विद्यालयों में भोजन की गुणवत्ता निम्नस्तरीय है। तभी तो बच्चे भी मिड-डे मील वितरण के समय स्कूल से नदारद हो जाते हैं।
इन्होंने कहा ..
बच्चों के ठहराव व मिड-डे मील की गुणवत्ता सुधारने के निर्देश समय-समय पर दिए जा रहे हैं। अगर कोई हेडमास्टर इस पर अमल नहीं कर रहा है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
- पीएन सिंह, बीएसए।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर