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विधायकों के विपक्ष में होने का मिलता रहा है खामियाजा

जागरण संवाददाता, बागपत : बागपत से चुने गए ज्यादातर विधायकों को विधानसभा में विपक्ष में ही बैठना पड़ा।

By Edited By: Published: Fri, 27 Jan 2017 06:54 PM (IST)Updated: Fri, 27 Jan 2017 06:54 PM (IST)
विधायकों के विपक्ष में होने का मिलता रहा है खामियाजा

जागरण संवाददाता, बागपत : बागपत से चुने गए ज्यादातर विधायकों को विधानसभा में विपक्ष में ही बैठना पड़ा। ऐसे में इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ा, क्योंकि सियासी भेदभाव से न बिजली सिस्टम सुधरा न हर घर ही रोशन हुआ। ओवरलोड सिस्टम, जर्जर लाइने, धुआं होते ट्रांसफार्मर और कर्मचारियों की कमी बिजली आपूर्ति में बड़ी बाधा है। पांच साल में 7300 के बजाए 4707 मिलियन यूनिट बिजली मिली।

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विधानसभा चुनाव रफ्तार पकड़ चुका है, लेकिन हर चुनाव में बागपत की बिजली सुधारने को सियासी दल सपना दिखाते हैं जो आज तक पूरा नहीं हुआ। बागपत के आठ कस्बों तथा 290 गांवों में 40 फीसद परिवार बिजली से वंचित हैं। हर माह 120 के बजाए 77 मिलियन यूनिट बिजली मिलने का औसत है। करीब 500 किमी लंबी लाइनों के तार जर्जर हैं। कुल 16 हजार में सात हजार ट्रांसफार्मर ओवरलोड हैं। ओवरलोड से ट्रांसफार्मर जलने से बिजली गुल होने की मार उपभोक्ताओं पर पड़ती रही है। औसतन रोज आठ ट्रांसफार्मर फुंकने की मार लोगों पर पड़ती है।

बड़ौत का 220 केवीए क्षमता का सब स्टेशन, अमीनगर सराय, बड़ौत, बागपत स्थित 132 केवीए पावर सब स्टेशन ओवरलोड हैं। पिलाना, डौला, खेकड़ा, बागपत, रटौल, बिहारीपुर, सरूरपुरकलां, छपरौली, आदर्श नंगला, बिजरौल, डौलचा, बावली, जिवाना गुलियान व गुराना समेत 33 केवी क्षमता के 30 विद्युत उपकेंद्रों को ओवरलोड से मुक्ति दिलाने को क्षमता वृद्धि नहीं कराई गई। यानी बिजली सुधार का काम अधूरा है। वहीं पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्युतीकरण योजना से 159 करोड़ रुपये की लागत के काम रफ्तार नहीं पकड़ पाए हैं। फीडर सेपरेशन का काम नहीं होने से गांवों की आबादी व ¨सचाई के नलकूपों को अलग-अलग बिजली आपूर्ति का प्लान कागजों तक सिमटा है।

हालांकि, ऐसा नहीं कि पांच साल में काम बिल्कुल नहीं हुआ। विद्युतीकरण सुधार को काम हुआ, पर जरूरत से काफी कम। पांच साल में करीब दो दर्जन उपकेंद्र बने तथा 400 केवी क्षमता का ट्योढ़ी में बिजलीघर बना, लेकिन यह निर्माण बहुत कम है। अभी भी बागपत में 33 केवी क्षमता की 38 किमी, 11 केवी क्षमता की 42 किमी तथा लो टेंशन की 200 किमी नई लाइनों तथा 10 नए उप केंद्रों की आवश्यकता है। साफ है कि बागपत में बिजली सुधार को काफी होना बाकी है। यह दीगर बात है कि बागपत हर साल करीब 100 करोड़ रुपये का राजस्व ऊर्जा निगम को देता है। बागपत के ओमप्रकाश, निवाड़ा के इकबाल, सिसाना के प्रदीप कुमार और जौहड़ी के पूर्व प्रधान सोहनपाल ¨सह ने कहा कि विकास ही नहीं, बिजली आपूर्ति में भी बागपत के साथ भेदभाव होता है। चुनाव के बाद नेता बागपत को भूल जाते हैं, जिससे बिजली सिस्टम आशा के अनुसार नहीं सुधर रहा है।

रामभरोसे बिजली सिस्टम

बागपत : 50 जूनियर इंजीनियर और 215 लाइनमैन के रिक्त पदों पर नियुक्ति नहीं हुई। लाइनों की पेट्रो¨लग करने को 210 पेट्रोलमैन कम हैं। तकनीकी कर्मी श्रेणी-दो 25 कम हैं। कर्मियों की कमी बिजलीघर व लाइनों के संचालन ढंग से नहीं होता, जिससे आपूर्ति धड़ाम होती रहती है। कर्मियों की कमी की सबसे ज्यादा मार गांवों पर पड़ी है।

कम बिजली मिलने का ब्योरा

-साल 2012-2013 में 676 मिलियन यूनिट।

-साल 2013-2014 में 569 मिलियन यूनिट।

-साल 2014-2015 में 461 मिलियन यूनिट।

-साल 2015-2016 में 470 मिलियन यूनिट।

-साल 2016-2016 में 313 मिलियन यूनिट।

इन्होंने कहा..

बागपत में बिजली सिस्टम में काफी सुधार हुआ है। बागपत में 76 बिजलीघर हैं, जिनमें कोई ओवरलोड नहीं है। अधिकांश परिवारों को बिजली कनेक्शन दिए जा चुके हैं। बिजली आपूर्ति भी बेहतर है।

- वीके पांडेय, अधीक्षण अभियंता।


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