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उपवास रख रहीं जायरा, साजिद भजन में शामिल

सचिन गुप्ता बदायूं यह हमारे देश की सभ्यता-संस्कृति की खूबसूरती है। यह सौहार्द का प्रमाण है। जिले जेल में जब 250 बंदियों ने नवरात्र में शक्ति की उपासना शुरू की तो चार मुस्लिम भी इसका हिस्सा बन गए। जायरा सलीम अबरार और केसर ने भी पूरे नौ दिन का उपवास रखना शुरू कर दिया। शाम को आरती में सब शामिल होते हैं। भजन कीर्तन भी होते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 01:06 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:02 AM (IST)
उपवास रख रहीं जायरा, साजिद भजन में शामिल
उपवास रख रहीं जायरा, साजिद भजन में शामिल

सचिन गुप्ता, बदायूं

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यह हमारे देश की सभ्यता-संस्कृति की खूबसूरती है। यह सौहार्द का प्रमाण है। जिले जेल में जब 250 बंदियों ने नवरात्र में शक्ति की उपासना शुरू की तो चार मुस्लिम भी इसका हिस्सा बन गए। जायरा, सलीम, अबरार और केसर ने भी पूरे नौ दिन का उपवास रखना शुरू कर दिया। शाम को आरती में सब शामिल होते हैं। भजन कीर्तन भी होते हैं।

नवरात्र के पहले ही दिन जेल में माता की चौकी सजा दी गई थी। इससे एक दिन पहले जेल प्रबंधन ने उपवास रखने वाले बंदियों से नाम मांगे तो उनमें चार मुस्लिमों के भी शामिल थे। सौहार्द के लिए उनकी इस पहल की सभी ने सराहना की। वे अन्य बंदियों की तरह रोजाना की दिनचर्या में शामिल होते हैं। केसर व अबरार, जायरा को आजीवन उम्रकैद की सजा सुनाई जा चुकी है।

आत्मसुधार की पहल

जिला जेल के अधीक्षक डॉ. विनय कुमार कहते हैं कि पर्व के जरिये बंदी एकाग्रता और आध्यात्म और आत्म सुधार से जुड़ रहे। चार मुस्लिम बंदी अपनी इच्छा से उपवास रख रहे। सभी के लिए केला, सेब, आलू, दूध व चीनी आदि दी जाती है। इच्छानुसार भी फलाहार का इंतजाम रहता है। कुल 1500 में बाकी बंदी अपनी इच्छानुसार सामान्य दिनचर्या बिता रहे।

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शासनादेश के अनुसार जेल में निरूद्ध कैदी व बंदियों को फलाहार देते हैं। नियमित पूजा-पाठ के साथ आरती की जा रही है।

- डॉ. विनय कुमार, जेल अधीक्षक

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अगर कोई उपवास करता है तो इसमें कोई बुराई नहीं है, इस्लाम धर्म में भी रोजा उपवास का ही स्वरूप है। कोई भी आरती में शामिल हो सकता है, लेकिन तिलक लगाना और मूर्ति पूजा करना निषेध है।

- मौलाना इमरान खान, बदायूं


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