बदायूं में युवा प्रधान की बड़ी सोच, अभिजीत के क्षेत्र में सभी युवाओं के पास ड्राइविंग लाइसेंस
बदायूं में शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव गुराई-बदरपुर में गत 6 जुलाई को उपचुनाव हुआ था। अभिजीत पटेल भी उम्मीदवार थे। 8 जुलाई को वोट खुले तो 285 वोटों से उन्होंने जीत दर्ज की।
बदायूं [अभिषेक सक्सेना]। 22 वर्ष सात दिन। हां, यही उम्र थी जब आठ जुलाई को अभिजीत पटेल ग्राम प्रधान बने। चुनाव क्या होता है, राजनीति में कैसे लोगों को साधा जाता है, उन्हें बहुत कुछ नहीं पता।
बस, सब कह रहे थे लड़ो और वह लड़ गए.. जीत भी गए। जीतने के बाद पता चला कि वह सिर्फ एक चुनाव में विजयी नहीं हुए बल्कि एक रिकॉर्ड भी उनके नाम दर्ज होने वाला है..सबसे कम उम्र के प्रधान बनने का। जीत की जिम्मेदारी और रिकॉर्ड की अहमियत को इस युवा ने बखूबी समझा। यूथ की नई परिभाषा गढ़ी जो हंगामे और मनमौजी के संकेतक नहीं बल्कि अनुशासित और जिम्मेदारी का पालन करने वाले हैं।
बदायूं में शेखूपुर विधानसभा क्षेत्र के गांव गुराई-बदरपुर में गत 6 जुलाई को उपचुनाव हुआ था। अभिजीत पटेल भी उम्मीदवार थे। 8 जुलाई को वोट खुले तो 285 वोटों से उन्होंने जीत दर्ज की। कहते हैं कि नया भारत तो युवाओं को ही तैयार करना है। इसी सोच के साथ काम शुरू कर दिया।
सबसे पहले उन्हें बुलाया जिन्होंने चुनाव लड़ाया। साफ कह दिया कि राजनीति का मतलब यह कतई नहीं कि नियम तोडें़ और फिर सिफारिश कराएं। इसके साथ तय हुआ कि कोई भी युवा बिना ड्राइविंग लाइसेंस वाहन नहीं चलाएगा। एक महीने के अंदर 50 युवाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया। अब गांव का कोई युवा अब बिना हेलमेट बाइक या स्कूटर नहीं चलाता। कार चलाते हैं तो सीट बेल्ट लगाते हैं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर के लिए 60 लोगों के आवेदन करा चुके हैं। 70 शौचालय बनवाने का प्रस्ताव भेजा है। सफाई भी अपनी निगरानी में ही कराते हैं। नतीजतन, गांव में मलेरिया नहीं फैला। खराब पड़े हैंडपंपों को भी रीबोर कराने का काम कर रहे हैं। कहते हैं कि युवाओं को शिक्षित व जागरूक बनाना ही उनका उद्देश्य है।
लिम्का बुक में भी किया आवेदन
अभिजीत का जन्म 1 जुलाई 1997 को हुआ था। प्रधान बने उस दिन उनकी उम्र 22 साल सात दिन की थी, जबकि हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के थरजूण गांव की जबना चौहान 22 साल चार महीने की उम्र में प्रधान चुनी गई थीं। लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन किया गया है। वह कहते हैं कि असल में रिकॉर्ड की बारी तो अब आई है, जब मेरा गांव पूरे देश में सबसे श्रेष्ठ बने। शुरुआत स्वभाव में बदलाव से होगी। इसीलिए युवाओं को उनकी जिम्मेदारी का एहसास करा रहे हैं।
पिता का हो चुका देहांत, खुद बनाई राह
अभिजीत ने हाईस्कूल पास करने के बाद इलेक्टिक ट्रेड से आइटीआइ की है। पिता अजयपाल सिंह का वर्ष 2007 में बीमारी से निधन हो चुका है। परिवार में मां ऊषा देवी, दो भाई नवनीत पटेल व अजीत पटेल हैं। नवनीत खेती करते हैं, जबकि अजीत उत्तर प्रदेश राच्य निर्माण सहकारी संघ लिमिटेड में असिस्टेंट इंजीनियर हैं। अभिजीत सबसे छोटे हैं। चाचा भाजपा में जिला महामंत्री हैं।
क्या कहते हैं ग्रामीण
गांव के राजकुमार कहते हैं कि हमें लगा कि सकारात्मक सोच और गांव की तरक्की के बारे में सोचने वाले अभिजीत कुछ अलग करेंगे। बस, यही सोचकर उन्हें चुनाव लडऩे के लिए राजी कर लिया।
युवाओं को अनुशासित करने का अच्छा काम
डीएम बदायूं दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि जुलाई में जब ग्राम प्रधान उपचुनाव के परिणाम की घोषणा हुई तब अभिलेखों के अनुसार अभिजीत पटेल की उम्र 22 साल सात दिन थी। वह युवा ग्राम प्रधान हैं। अच्छी बात है कि वह युवाओं को अनुशासनित करने का काम कर रहे हैं।