हेलमेट होता तो बच जाती दयाशंकर और मुफीद की जान
उसहैत के अटैना पुल पर दो बाइकों के बीच हुई भिड़ंत में चारों लोगों की मौत की वजह हेडइंजरी से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस तथ्य से पर्दा उठा है। माना जा रहा है कि अगर बाइक चलाने वाले ही हेलमेट लगाए होते तो दयाशंकर व मुफीद की जान बच सकती थी।
जागरण संवाददाता, बदायूं : उसहैत के अटैना पुल पर दो बाइकों के बीच हुई भिड़ंत में चारों लोगों की मौत की वजह हेडइंजरी से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस तथ्य से पर्दा उठा है। माना जा रहा है कि अगर बाइक चलाने वाले ही हेलमेट लगाए होते तो दयाशंकर व मुफीद की जान बच सकती थी। पोस्टमार्टम के बाद परिजन चारों के शव लेकर अपने घरों को रवाना हो गए। सगे भाइयों की मौत के बाद उनके परिवार वाले भी पोस्टमार्टम हाउस पर पहुंचने के बाद रो-बिलख रहे थे।
बाइकों की भिड़ंत पुलिस के किनारे पर हुई है। बदायूं की ओर से यह दायीं ओर है। ऐसे में माना जा रहा है कि मुफीद अपनी सास व पत्नी को लेकर उसहैत निवासी रिश्तेदार से मिलकर घर लौटते वक्त पुल पर किसी वाहन को ओवरटेक कर रहा था। स्पीड भी ज्यादा होना लाजिमी है। जबकि विपरीत दिशा से आ रहे दयाशंकर समेत उसका भाई व भतीजा की बाइक की रफ्तार भी काफी तेज थी। नतीजतन दोनों ही संतुलन नहीं संभाल सके और आपस में टकराकर काल का ग्रास बन गए। सोमवार को चारों के शवों का पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया तो रिपोर्ट में सिर की हड्डियां टूटी निकली हैं।
ट्रिपिलिग भी बड़ी वजह
- दोनों बाइकों पर दो के स्थान पर तीन-तीन लोग सवार थे। हेलमेट का उपयोग भी नहीं किया था। कुल मिलाकर ट्रैफिक नियमों का खुला उल्लंघन करने का जुर्माना जान देकर भुगतना पड़ा।
सबसे बड़े और सबसे छोटे भाई की हुई मौत
- रामनरेश और दयाशंकर चार भाई थे। इनमें सबसे बड़े रामनरेश के अलावा उनसे छोटे नरवेश व राजकुमार हैं। जबकि सबसे छोटा दयाशंकर था। गांव वालों के मुताबिक तकरीबन 15 बीघा जमीन पर खेती किसानी करके चारों भाई खुद समेत परिवार की गुजर-बसर कर रहे थे।