जिले की अदालतों में शुरू हुए न्यायिक कार्य
जेएनएन बदायूं उच्च न्यायालय इलाहाबाद के रजिस्ट्रार जनरल एके श्रीवास्तव के दिशा निर्देश के अन
जेएनएन, बदायूं : उच्च न्यायालय इलाहाबाद के रजिस्ट्रार जनरल एके श्रीवास्तव के दिशा निर्देश के अनुसार राजकुमार सिंह प्रथम अपर जनपद न्यायाधीश/प्रभारी जनपद न्यायाधीश ने जिला एवं सिविल बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कराकर न्यायालयों में न्यायिक कार्य शुरू करा दिया है। उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार जिला एवं सत्र न्यायाधीश समेत जिला मुख्यालय के न्यायालयों व तहसील स्तरीय न्यायालयों में न्यायिक कार्य किए जा रहे हैं। कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए न्यायालय परिसर को सैनिटाइज करवाया गया है और अधिवक्ताओं को भी अदालत में आने पर सैनिटाइज कराने का प्रबंध किया गया है।
सभी न्यायालयों में वादों की सामान्य तिथियां नियत
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की प्रभारी सचिव सिविल जज सीनियर डिवीजन संगीता ने बताया कि 31 मई तक लॉकडाउन बढ़ने से वादों की तिथियों के अग्रसारण संबंधी उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुपालन में जनपद के समस्त न्यायालयों में नियत वादों में सामान्य तिथियां नियत की गई हैं। जनपद न्यायाधीश शीर्षक में जनपद न्यायाधीश स्तर के सभी न्यायालयों में सिविल मामलों में 17 जुलाई, फौजदारी वादों में 17 जून एवं अंडर ट्रायल बंदीगण के मामलों में 8 जून की तारीख तय की गई है। प्रधान न्यायाधीश अदालत में सिविल मामलों में 17 जुलाई एवं फौजदारी वादों में 17 जून, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट शीर्षक में सभी मजिस्ट्रेट न्यायालयों में फौजदारी वादों में 4 जुलाई व अंडर ट्रायल बंदीगण के मामलों में 8 जून, सिविल जज (सीडि) के न्यालय में सिविल मामलों में 10 अगस्त, एवं फौजदारी वादों में 4 जुलाई, सिविल जज (जूडि) के न्यायालय में सिविल मामलों में 10 अगस्त एवं फौजदारी वादों में 4 जुलाई की नियत की गई है। इसी प्रकार बाह्य न्यायालयों में 28 मई को नियत वादों में आगामी सामान्य तिथियां नियत की गई हैं। सिविल जज (जूडि) बिसौली में सिविल मामलों में 10 अगस्त एवं फौजदारी वादों में 4 जुलाई, सिविल जज (जूडि) सहसवान के सिविल वादों में 10 अगस्त एवं फौजदारी वादों में 4 जुलाई, ग्राम न्यायालय बिल्सी के फौजदारी वादों में क्रम संख्या 1 से 15 तक 9 जून एवं क्रम संख्या 16 से 39 तक (125) में 8 जून नियत की गई है। यदि किसी मामले में त्वरित निस्तारण या दिन-प्रतिदिन की सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय द्वारा कोई निर्देश दिया जाता है तो उसे सीआईएस में रिकॉल किया जाएगा। अधिवक्तागण को टेलीफोन और ई-मेल द्वारा सूचित किया जाएगा।