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नगर पालिका ने 17 साल तक बांटे ही नहीं जलमूल्य के बिल, वर्तमान अधिशासी अधिकारी ने बंटवाए बिल तो शुरू हुई वसूली

आय बढ़ाने के लिए नगर पालिका परेशान है। लेकिन इसके लिए नगर पालिका के ही जिम्मेदार ही दोषी है। शासन से हर वर्ष वसूली का लक्ष्य तय होता है। लेकिन नगर पालिका के जिम्मेदार इसको लेकर गंभीर नहीं है। आलम यह है कि नगर पालिका ने शहर के लोगों से बीते 17 साल से जल मूल्य की वसूली ही नहीं की। इतना ही नहीं बीते 17 सालों में शहर के लोगों तक जल मूल्य के बिल तक नहीं पहुंचाए।

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 01:01 AM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 01:01 AM (IST)
नगर पालिका ने 17 साल तक बांटे ही नहीं जलमूल्य के बिल, वर्तमान अधिशासी अधिकारी ने बंटवाए बिल तो शुरू हुई वसूली
नगर पालिका ने 17 साल तक बांटे ही नहीं जलमूल्य के बिल, वर्तमान अधिशासी अधिकारी ने बंटवाए बिल तो शुरू हुई वसूली

अंकित गुप्ता, बदायूं : आय बढ़ाने के लिए नगर पालिका परेशान है। लेकिन, इसके लिए नगर पालिका के ही जिम्मेदार ही दोषी है। शासन से हर वर्ष वसूली का लक्ष्य तय होता है। लेकिन नगर पालिका के जिम्मेदार इसको लेकर गंभीर नहीं है। आलम यह है कि नगर पालिका ने शहर के लोगों से बीते 17 साल से जल मूल्य की वसूली ही नहीं की। इतना ही नहीं, बीते 17 सालों में शहर के लोगों तक जल मूल्य के बिल तक नहीं पहुंचाए। वर्तमान अधिशासी अधिकारी के निर्देश पर जल मूल्य के बिल भेजे जाने शुरू कर दिए गए हैं। नगर पालिका की लापरवाही का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ेगा। उन्हें अब एकाएक एकमुश्त बिल अदा करना होगा।

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नगर पालिका की राजस्व के मामले में हालत ठीक नहीं है। जनवरी 2021 में संजय तिवारी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी बने। उन्होंने यहां कि स्थिति को देखकर वसूली की जानकारी की। तब पता चला कि बीते 17 वर्ष से जल मूल्य के बिल ही नहीं बने है। ऐसे में वसूली की बात दूर है। इस पर ईओ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए तत्काल बिल वितरण शुरू करने के निर्देश दिए। बीते चार माह से बिल बांटे जा रहे हैं। लेकिन, अपेक्षाकृत वसूली अब तक नहीं हो रही है। उन्होंने नगर पालिका के टैक्स विभाग में तैनात कर्मचारियों व निरीक्षकों को टैक्स वसूली बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। बता दें कि शहर में 24 हजार जलमूल्य के करदाताओं से प्रतिमाह 50 रुपये वसूले जाने थे। इस हिसाब से नगर पालिका को प्रतिमाह इस जलमूल्य से 12 लाख रुपये, जबकि एक वर्ष में यह 1.44 करोड़ और 17 साल में 24.48 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होता। लेकिन बिल भेजने में उदासीनता से नगर पालिका को इसका राजस्व नहीं मिल सका। जबकि इस दौरान नगर पालिका में कई अध्यक्ष और ईओ बदल गए। लेकिन, किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया।

जल मूल्य की दर में संशोधन की तैयारी : वर्ष 1997 में जलमूल्य का फिर से निर्धारण हुआ। तब इसको 50 रुपये प्रतिमाह किया गया। इससे पहले यह 25 रुपये प्रतिमाह था। अब 24 साल बाद जलमूल्य के फिर से निर्धारण की तैयारी है। अब इसको 100 रुपये प्रतिमाह किया जाएगा। अगली बोर्ड बैठक में इसका प्रस्ताव रखा जाएगा।

बदायूं के नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी संजय तिवारी ने बताया कि नगर पालिका आय बढ़ाने के क्रम में जलमूल्य की वसूली के लिए बिल भेजे जा रहे हैं। इससे वसूली आनी शुरू हुई है। बीते 17 सालों से तो जलमूल्य के बिल बने ही नहीं थे।


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