गेहूं घोटाले में कई सफेदपोश भी हो सकते हैं बेनकाब
दातागंज में हुए गेहूं खरीद घोटाला प्रकाश में आने के बाद कई सफेदपोशों की धड़कने बढ़ गई हैं।
बदायूं : दातागंज में हुए गेहूं खरीद घोटाला प्रकाश में आने के बाद कई सफेदपोशों की धड़कनें बढ़ गई हैं, क्योंकि सियासी दखल के चलते ही अधिकांश सेंटर नेताओं ने अपने चहेतों को आवंटित कराकर किसानों की कमाई को जमकर लूटा था। इसकी उच्चस्तरीय जांच भी अब शुरू हो चुकी है, जांच सलीके से हुई तो कई सफेदपोश भी इस खेल में बेनकाब हो जाएंगे।
जिले की सबसे बड़ी गेहूं की मंडी कही जाने वाली दातागंज तहसील क्षेत्र में इस बार भी हर साल की तरह सबसे ज्यादा गेहूं खरीद केंद्र खोले गए थे। सेंटरों का आवंटन होने पर अन्य तहसील क्षेत्रों के किसानों ने इसपर आपत्ति भी दर्ज कराई थी। मगर, अन्नदाताओं की कोई सुनवाई नहीं हुई। दातागंज की मंडी समिति समेत दोनों आरएफसी सेंटरों पर जमकर खरीद की गई। हैरत की बात तो यह है कि यह गेहूं सहकारी गोदाम तक नहीं पहुंचा। करीब 8537 कुंतल गेहूं खरीद के बाद गोदाम तक न भेजकर रास्ते में ही गायब कर दिया। करीब डेढ़ करोड़ का गेहूं गायब हुआ तो इसका खुलासा तब हुआ जब शासन स्तर से टीम ने आकर गोदाम के स्टॉक को चेक किया। हजारों कुंतल गेहूं गायब देख सभी के होश उड़ गए। गुरुवार को दातागंज सेंटर रमेंद्र कुमार ने ठेकेदार ओमेंद्र गुप्ता, उमेश गुप्ता, पवन और अमर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। यह मामला देर रात तक प्रशासनिक अधिकारियों तक पहुंचा तो उन्होंने अन्य सेंटरों पर भी जांच के आदेश दिए।
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गेहूं ले जाने वाले 27 ट्रकों के चालान निकले फर्जी
दातागंज में हुए घोटाले की जब जांच शुरू हुई तो उसमें से कई परतें खुलती जा रही हैं। पता चला है कि जिन वाहनों से गेहूं का भेजना दिखाया गया था उसमें से 27 ट्रकों के चालान तो फर्जी हैं। इस तरह से तमाम मामले ऐसे हैं कि घोटालेबाजों का जेल जाना तय हो चुका है। सरकारी बारदाना भी हुआ गायब
अनाज घोटाले के साथ-साथ एक बड़ा घोटाला बारदाने का भी हुआ है जिस दिशा में किसी को ध्यान नहीं है। जब हजारों कुंतल गेहूं गायब किया गया तो सरकार की ओर से मिला वारदाना भी उसी के साथ गायब हुआ है। इससे सरकारी राजस्व को अच्छा खासा नुकसान हुआ है।
मंडी समिति में लगे सेंटरों पर भी जांच की आंच
मंडी समिति में लगाए गए दोनों सहकारी गेहूं क्रय केंद्र भी जांच के दायरे में आ चुके हैं। यहां भी किसानों की सबसे ज्यादा शिकायतें थीं कि बिचौलियों के माध्यम से ही गेहूं खरीदा जा रहा है। अब घोटाला उजागर हुआ है तो अन्य सेंटर भी जांच के दायरे में आ चुके हैं।
उड़द घोटाले में वजीरगंज के बाद अब बिल्सी पहुंची विजिलेंस
उड़द घोटाले में भी कई सफेदपोशों के नाम उजागर हो रहे हैं। किसान से महज 33 सौ से 34 सौ कुंतल उड़द खरीदकर सरकारी रेट 44 सौ बेचा गया था। किसानों का उड़द सीधे तौर पर नहीं लिया गया था। इससे किसानों ने शासन स्तर पर इसकी शिकायत भेजी तो वहां से प्रदेश भर में उड़द खरीद घोटाला उजागर हुआ। बदायूं में हुए घोटाले की जांच विजिलेंस कर रही है। विजिलेंस ने गुरूवार को जहां वजीरगंज में इसकी जांच की तो शुक्रवार को यह टीम बिल्सी पहुंच गई। वजह है कि बिल्सी में बड़ी मात्रा में उड़द की खरीद की गई थी।