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पटियाली सराय के शिवलिंग को देखने जुटते हैं श्रद्धालु

शहर में भगवान शिव का ऐसा मंदिर है जहां दिन में तीन बार शिवलिंग का रंग बदलने का दावा किया जाता है। श्रद्धालु इसे अद्भुत मानते हुए दर्शन के लिए जुटते हैं। जबकि भूगर्भ विज्ञान विभाग इसे सामान्य प्रक्रिया मानता है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 12:46 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:03 AM (IST)
पटियाली सराय के शिवलिंग को देखने जुटते हैं श्रद्धालु

जागरण संवाददाता, बदायूं : शहर में भगवान शिव का ऐसा मंदिर है जहां दिन में तीन बार शिवलिंग का रंग बदलने का दावा किया जाता है। श्रद्धालु इसे अद्भुत मानते हुए दर्शन के लिए जुटते हैं। जबकि भूगर्भ विज्ञान विभाग इसे सामान्य प्रक्रिया मानता है।

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यह मंदिर पटियाली सराय मुहल्ले स्थित है। पुजारी सत्यपाल शर्मा बताते हैं कि मंदिर को सन् 1612 में राजा अमृतपाल ने बनवाया था, जिसके अभिलेख अभी भी मंदिर कमेटी के पास हैं। राजा अमृतपाल के बाद उनके पुत्र राजा महीपाल ने इसका जीर्णोद्धार कराया। पुजारी कहते हैं कि सूर्योदय के वक्त जब पूजा करने जाते हैं तो रंग गुलाबी होता है। दोपहर में रंग हल्का पीला दिखाई देता है। वहीं सूर्यास्त के बाद जब आरती करते हैं तो शिवलिंग सफेद रंग का दिखाई देता है। महाशिवरात्रि की दिन रात में शिवलिंग नीले रंग होता है। हालांकि ऐसा बमुश्किल दस मिनट के लिए होता है। श्रद्धालु भी यही कहते हैं। शिवलिग की कुल ऊंचाई साढ़े छह फीट है। ढाई फीट दिखता है, जबकि चार फीट जमीन में दबा हुआ है। वह वर्ष 1989 से मंदिर की देखरेख कर रहे हैं।

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रंग बदलना सामान्य प्रक्रिया

कुछ पत्थरों में आंतरिक संरचना के आधार पर रंग बदलने की प्रक्रिया होती है। इसको अंग्रेजी में प्ले ऑफ कलर्स कहते हैं। रंग बदलने में कई प्रकार के पत्थर ऐसे होते हैं जो आने वाली किरणों के बदलाव से अपना रंग बदल सकते हैं जैसे एलएक्स जेंड्राइट। जोकि एक प्रकार के माणक की प्रजाति होती है। जो सफेद रोशनी में नीला और पीली रोशनी में लाल दिखाई देता है।

उसी तरह से कुछ और पत्थर आंतरिक चमक एवं प्रकाश के आने वाली दिशा की वजह से रंग बदल सकते हैं।

प्रो विभूति राय, रत्नशास्त्री, भूगर्भ विज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय


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