सामने आने लगे सीजोफ्रेनिया के मरीज, दवाएं मंगवाईं
जिले में सीजोफ्रेनिया के मरीज अब सामने आने लगे हैं। दिमाग से जुड़ी इस बीमारी के दर्जनभर मरीज जिला अस्पताल में पिछले चार दिन में पहुंचे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है कि चार दिन पहले ही यहां मानसिक बीमारियों का इलाज सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ है। ऐसे मरीज मिलने से स्वास्थ्य महकमा भी टेंशन में है। हालांकि इनका इलाज शुरू कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, बदायूं : जिले में सीजोफ्रेनिया के मरीज अब सामने आने लगे हैं। दिमाग से जुड़ी इस बीमारी के दर्जनभर मरीज जिला अस्पताल में पिछले चार दिन में पहुंचे हैं। ऐसा इसलिए हुआ है कि चार दिन पहले ही यहां मानसिक बीमारियों का इलाज सुप्रीमकोर्ट के आदेश पर शुरू हुआ है। ऐसे मरीज मिलने से स्वास्थ्य महकमा भी टेंशन में है। हालांकि इनका इलाज शुरू कर दिया गया है।
डब्ल्यूएचओ व इंडियन साइकेट्रिस्ट एसोसिएशन के सर्वे के बाद सुप्रीमकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सकों को मानसिक रोगियों के इलाज का प्रशिक्षण देने का आदेश दिया था। इसके अनुपालन में जिला अस्पताल में तैनात वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. राजेश वर्मा को 10 जनवरी से नौ फरवरी तक मानसिक अस्पताल बरेली में प्रशिक्षण के लिए भेजा गया था। प्रशिक्षण से लौटने के बाद अस्पताल में मानसिक रोगियों का इलाज शुरू कर दिया गया है। ऐसे में यहां अवसाद, मिर्गी के दौरे आदि मरीजों के साथ ओपीडी में अब सीजोफ्रेनिया के मरीज भी आने लगे हैं।
यह हैं लक्षण
डॉ. वर्मा के मुताबिक सीजोफ्रेनिया एक मानसिक रोग है। इसमें किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व में अचानक बदलाव आ जाता है। ज्यादा बोलना या गालीगलौज करना, अपनी देखरेख न करना, लोगों पर शक करना, एक काम को बार-बार करना, एकाकी हो इसके लक्षण हैं। मरीज को तरह-तरह की आवाजें भी सुनाई देती हैं। जिनके कारण कभी वह हंसता है तो कभी डरकर चौंकने लगता है। यह आवाजें उसके दिमाग में आत्महत्या के विचार तक ला सकती हैं।
यह है बचाव
मरीज को अच्छे वातावरण में रखें। उसके साथ संवेदनशीलता का व्यवहार करें। मरीज की किसी बात पर उसका मजाक न बनाएं और न ही उसे फटकारें। उसे प्यार से समझाएं। दवाओं से इस बीमारी का इलाज संभव है। वर्जन
- जिला अस्पताल में मानसिक बीमारियों से जुड़ी चार दवाएं मौजूद हैं। जबकि लगभग 14 तरह की दवाओं की सूची चिकित्सक से मांगी गई है। उनकी मांग यूपीएमएससी को भेजी जाएगी। मरीजों के लिए 20 बेड भी आरक्षित किए गए हैं।
डॉ. बीबी पुष्कर, सीएमएस