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वुहान शहर से गुजरने में भी महसूस हो रहा था खौफ

चीन में वुहान शहर की हवा तक के संपर्क में आने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे ही माहौल में बदायूं के दो मेडिकल छात्रों को भारत वापसी के दौरान वुहान शहर से गुजरना पड़ा। दोनों छात्र सगे भाई हैं। भारत सरकार की सजगता से वतन लौटे दोनों भाई पूरी तरह स्वस्थ हैं। अपने घर पर सुकून महसूस कर रहे दोनों भाइयों ने चीन में खौफ के बीच बिताए दिनों की दास्तां दैनिक जागरण के साथ साझा की।

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Feb 2020 12:55 AM (IST)Updated: Fri, 21 Feb 2020 06:03 AM (IST)
वुहान शहर से गुजरने में भी महसूस हो रहा था खौफ
वुहान शहर से गुजरने में भी महसूस हो रहा था खौफ

जागरण संवाददाता, बदायूं : चीन में वुहान शहर की हवा तक के संपर्क में आने को कोई तैयार नहीं है। ऐसे ही माहौल में बदायूं के दो मेडिकल छात्रों को भारत वापसी के दौरान वुहान शहर से गुजरना पड़ा। दोनों छात्र सगे भाई हैं। भारत सरकार की सजगता से वतन लौटे दोनों भाई पूरी तरह स्वस्थ हैं। अपने घर पर सुकून महसूस कर रहे दोनों भाइयों ने चीन में खौफ के बीच बिताए दिनों की दास्तां दैनिक जागरण के साथ साझा की।

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बदायूं निवासी भाई मोहम्मद अबुल बशर और असद वुहान से 450 किमी दूर श्यान शहर में हुबेई यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एमबीबीएस के छात्र हैं। वे बताते हैं कि कोरोना फैलने के बाद उनके 10 दिन दहशत में गुजरे। हालांकि श्यान में कोरोना का असर नहीं था। इसके बावजूद विश्वविद्यालय परिसर खाली हो गया था। दोनों भाई बताते हैं कि 12 जनवरी को वुहान शहर में कोरोना वायरस फैलने की जानकारी मिली। वायरस का प्रकोप बढ़ने पर श्यान में भी शिक्षण संस्थान, दुकान, कल-कारखाने बंद हो गए। कैंपस से बाहर निकलना प्रतिबंधित कर दिया गया। सुपरवाइजर ने मास्क लगाकर रहने का निर्देश दिया। यूनिवर्सिटी प्रशासन जरूरत की वस्तुएं मुहैया करा रहा था। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भारतीय दूतावास से संपर्क साधकर घर भेजने की तैयारी की। दो फरवरी को डॉक्टरों की टीम के साथ बस पहुंची, जिन्होंने दोहरे मास्क पहनाए और टीम के साथ वुहान शहर पहुंचे। वहां एयरपोर्ट पर जांच के बाद प्लेन में सवार हुए। प्लेन में भी डॉक्टरों की टीम मौजूद थी। दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचते ही डॉक्टरों की टीम ने विशेष कपड़े व मास्क दिए और 14 दिन तक नियमित जांच के बाद घर भेजा। दोनों भाई अब घर पर चीन में हालात सामान्य होने का इंतजार कर रहे हैं, ताकि वे पढ़ाई पूरी करने के लिए वापस जा सकें। दोनों भाइयों के पिता सहसवान के दहलीज मोहल्ला निवासी डॉ. अब्दुल हकीम यहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात हैं।


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