सियासत के कोल्हू में फंसा गन्ना किसानों का भुगतान
इस बार गन्ने का बकाया भुगतान न होने का मामला भी चुनाव में जोरशोर से उठाया जा रहा है।
बदायूं : जिले में गन्ना किसानों का करीब 102 करोड़ रुपये यदु शुगर मिल पर बकाया है। बकाया दिलाने के नाम पर प्रशासन ने अब तक कार्रवाई कराए जाने की बात कही है। मुकदमेबाजी शुरू होने के बाद भी मिल प्रबंधन ने अब तक किसानों का बकाया नहीं दिया है। अब यह चुनावी मुद्दा बनकर गरमा रहा है। वजह है कि किसान गन्ने की फसल पर तमाम सपने संजो लेता है और ऐन वक्त पर उसको भुगतान नहीं मिलता। अब यह चुनाव में प्रत्याशी किसानों के बीच पहुंच रहे हैं तो किसान भी गन्ना भुगतान न मिलने की समस्या को चुनावी मुद्दा का रूप दे रहे हैं। इससे सियासी लोगों के होश उड़े हुए हैं।
हर बार गन्ना किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य दिलाने के साथ ही समय पर भुगतान किए जाने के दावे किए जाते हैं। सरकारें भरोसा दिलाने के साथ ही दावा करती हैं कि वह इस बार किसानों को भुगतान के लिए भटकने नहीं देंगे। जब पेराई सत्र का समय आता है तो माफिया किसानों पर हावी हो जाते हैं, इससे किसानों का गन्ना सीधे तौर पर मिलों तक नहीं जाता है। सेंटरों पर आठ-आठ दिन तक उनके गन्ने की तौल नहीं होती तो वह बिचौलिया और माफिया को ही गन्ना बेचते हैं। इसमें जिन किसानों का गन्ना चीनी मिल तक पहुंचता है तो उनको पेराई सत्र खत्म होने के बाद भी गन्ने का भुगतान नहीं दिया जाता। बात यदु शुगर चीनी मिल की करें तो उसने न तो पिछले का साल का बकाया अदा किया है और न ही इस साल का गन्ना मूल्य किसानों को दिया है। अब चुनावी सीजन है इसलिए यह मुद्दा उठ रहा है। उन जनप्रतिनिधियों से किसान पूछ रहे हैं जिन्होंने उनके गन्ना भुगतान दिलाए जाने का दावा किया था।