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अस्पताल की व्यवस्था ध्वस्त, किट से हो रही जांच

बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ने के साथ ही अस्पताल की व्यवस्था चरमरा गई है। किट से मरीजों की जांच हो रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 14 Sep 2019 07:47 PM (IST)Updated: Sat, 14 Sep 2019 07:47 PM (IST)
अस्पताल की व्यवस्था ध्वस्त, किट से हो रही जांच
अस्पताल की व्यवस्था ध्वस्त, किट से हो रही जांच

जागरण संवाददाता, बदायूं : जिले में बेकाबू हो रहे बुखार के सामने जिला अस्पताल की व्यवस्था भी अब चरमराने लगी है। वजह है कि यहां बुखार के गंभीर मरीजों की जांच किट से की जा रही है। जबकि पिछले दिनों शासनस्तर से आई गाइडलाइन में किट से जांच का दायरा सीमित कर दिया गया था। बावजूद इसके भारी भीड़ जुटने के कारण यह स्थिति बनी है। क्योंकि स्लाइड से सभी मरीजों की जांच हो पाना यहां अब संभव नहीं रहा है।

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जिला अस्पताल में मरीजों को भर्ती करने के लिए 216 बेड मौजूद हैं। बीते एक पखवाड़े से पूरा अस्पताल ओवरलोड चल रहा है और मरीजों को मेडिकल कालेज भेजा जा रहा है। वहीं ओपीडी में भी रोजाना छह सौ से सात सौ मरीज बुखार के पहुंच रहे हैं। शुरूआत में इन मरीजों को दवा दी गई और बुखार की जांच कराने के लिए लिखा गया। दो-चार दिन तो ठीक चला लेकिन इतने ज्यादा मरीजों की स्लाइड बनाकर उनकी जांच करने के नाम पर अस्पताल प्रशासन के हाथपांव फूल गए। वजह रही कि स्टाफ व लैब टेक्नीशियनों की कमी के कारण जांच का बोझ बढ़ने लगा। सैंपल देकर नहीं लौटे मरीज

अस्पताल में सौ से अधिक ऐसे मरीज भी पहुंचे, जिन्होंने खून का सैंपल दे दिया और जांच रिपोर्ट दूसरे दिन मिलने की बात सुनकर यह तो कह दिया कि आएंगे लेकिन इसके बाद मरीज वापस नहीं लौटे। ऐसे में रिपोर्ट भी रद्दी के टोकरे में फेंकनी पड़ गईं। फिर किट से शुरू की जांच

अब अस्पताल में साधारण मरीजों की स्लाइड बनाई जा रही है, जबकि जिन मरीजों को ज्यादा तेज बुखार होता है, उनकी किट के आधार पर प्रारंभिक जांच करके दवा दी जा रही है। भर्ती करने के बाद स्लाइड भी बनाई जा रही है। ताकि एक बार दोबारा दोनों रिपोर्ट का मिलान कर मरीजों का इलाज किया जा सके। इसलिए लगाई गई थी पाबंदी

- किट से जांच के लिए शासनस्तर से दायरा तय हुआ था। क्योंकि कई बार ऐसा भी हुआ कि किट में मरीज को मलेरिया के लक्षण दिखे, जबकि स्लाइड की जांच में साधारण बुखार निकला। वहीं कई बार किट ने मलेरिया बताया तो स्लाइड जांच में फैल्सीपेरम मलेरिया की पुष्टि हुई। कुल मिलाकर किट की जांच में गड़बड़ी देख यह गाइड लाइन दी गई कि केवल देहात इलाके के संक्रमित गांवों में किट से जांच की जा जाए, क्योंकि वहां तुरंत उपचार की जरूरत होती है। मरीज को तुरंत दवा देने के साथ ही उसका ब्लड सैंपल भी लिया जाए। उसकी जांच अलग से करके मिलान के आधार पर इलाज किया जाए। महीने भर में यह रही स्थिति

जिला अस्पताल में महीनेभर में फैल्सीपेरम के लगभग 48 मरीज जांच में मिले हैं। जबकि मलेरिया की पुष्टि 749 मरीजों में हुई है। इसके अलावा वायरल बुखार के मरीजों की संख्या भी दिनोंदिन बढ़ रही है। वर्जन

मरीजों की भीड़ काफी बढ़ गई है। इसलिए किट और स्लाइड दोनों से जांच करा रहे हैं। कई बार मरीज सैंपल देकर लौटते नहीं है। इसलिए उन्हें तुरंत उपचार देने के लिए यह व्यवस्था की है। भर्ती करने के बाद उनकी स्लाइड भी बनवाई जाती है।

- डॉ. बीबी पुष्कर, सीएमएस जिला अस्पताल


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