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कागजी गोशाला बनाकर गोसेवा का पीट रहे ढोल

पशुओं की सुरक्षा के लिए सरकार शहर से लेकर देहात तक अस्थाई गोशाला खुलवाने के नाम पर बजट खर्च हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 13 Jan 2019 12:10 AM (IST)Updated: Sun, 13 Jan 2019 12:10 AM (IST)
कागजी गोशाला बनाकर गोसेवा का पीट रहे ढोल
कागजी गोशाला बनाकर गोसेवा का पीट रहे ढोल

बदायूं : गोवंशीय पशुओं की सुरक्षा के लिए सरकार शहर से लेकर देहात तक अस्थाई गोशाला खुलवाने के नाम पर तमाम बजट खर्च कर रही है। हैरत की बात तो यह है कि पहले से ही जिले में तमाम गोशाला रजिस्टर्ड हैं, जिनको बाकायदा हर साल सरकार की ओर से सहायता राशि भी दी जाती है। एक-दो गोशाला को छोड़ दें तो अन्य गोशाला कागजों पर चल रहीं हैं। हर साल लाखों रुपये का खेल गोवंशीय पशुओं की सुरक्षा के नाम पर किया जा रहा है। जानकारों का कहना है कि जो गोशाला रजिस्टर्ड हैं उनके पास इतनी जमीन है जहां हजारों गोवंशीय को पाला जा सकता है, लेकिन सिस्टम उन गोशाला की हकीकत परखने के बजाए अस्थाई गोशाला पर ज्यादा जोर दे रहा है। इससे जमीन तलाशने में मशक्कत उठानी पड़ रही है। अस्थाई गोशाला में पूरा इंतजाम न होने से गोवंशीय रात में ठिठुरते रहते हैं।

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गोसेवा के नाम पर जिले में कई लोगों ने गोशाला बनवाए जाने का प्रस्ताव भेजा तो एक के बाद एक उनको रजिस्टर्ड कर दिया गया। शर्त रखी गई कि वह बेबस, लाचार गोवंशीय पशुओं को पकड़कर उनकी गोशाला में सेवा करेंगे। नियम के तहत इसके लिए ट्रस्ट बनाकर जमीन भी काफी हद तक दर्ज की गई। काफी समय पहले तक यहां गोशाला में गोसेवा की जाती थी, लेकिन कुछ समय से सरकारी सहायता को हासिल करने के लिए इसमें खेल शुरू कर दिया गया।

शहर में एक दो गोशाला में जरूर गोवंशीय की सेवा की जा रही है, लेकिन अधिकांश गोशाला सिर्फ सरकारी धन हासिल कराने को संचालित कराई जा रही हैं। हर पशु के हिसाब से मिलने वाली सहायता राशि में खेल करते हुए उनकी कागजी संख्या दर्शाकर जिम्मेदारों से साठगांठ कर मोटी रकम हासिल कर ली गई। अब गोवंशीय की सुरक्षा के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सख्त हुए तो सिस्टम सतर्क हो गया। सीएम के आदेश पर गोसेवा करने में जिम्मेदार जुटे तो अस्थाई गोशाला खोलने की भी तैयारियां कर दी गईं। गोवंशीय के साथ-साथ अन्य घुमंतू पशुओं को पकड़ा गया, ताकि वह किसानों की फसलों को नुकसान नहीं पहुंचाएं। अभियान युद्ध स्तर पर तो छेड़ दिया गया लेकिन पहले से रजिस्टर्ड गोशाला में जमीनी हकीकत को नहीं देखा गया कि वहां पर कितने गोवंशीय की सेवा की जा रही है। इससे सिस्टम पर ही सवाल उठने लगा है।

वर्जन ..

रजिस्टर्ड सभी गोशाला की मॉनीट¨रग की जा रही है, जहां भी गोवंशीय नहीं पाले जा रहे हैं उन गोशाला को निश्क्रिय कर उनका रजिस्ट्रेशन निरस्त करने के लिए रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। गोसेवा के नाम पर किसी भी तरह का खेल नहीं होने दिया जाएगा।

- डॉ. एके जादौन, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी


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