'अपनों' के नाम पर माननीय नहीं बनवा सकेंगे स्वागत द्वार
क्षेत्र में विकास कराने के साथ विधायक को अपनी निधि से स्वागत द्वार बनवाने का भी अधिकार होता है। पुराने किसी बड़े नेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से स्वागत द्वार बनवाने में तो कोई अड़चन नहीं आती है लेकिन जब विधायक किसी स्वजन के नाम पर प्रवेश द्वार का प्रस्ताव देते हैं तो अधिकारियों के सामने दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
बदायूं, जेएनएन : विधायक निधि से स्वागत द्वार बनवाने में अब मनमानी नहीं हो सकेगी। आम तौर पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रख्यात राजनेताओं के नाम पर स्वागत द्वार बनते रहे हैं, लेकिन विधायक स्वजन के नाम पर स्वागत द्वार बनवाने के लिए प्रस्ताव देने लगे हैं। जिसे मंजूरी देने को लेकर अधिकारियों में असमंजस की स्थिति बन रही थी। एक विधायक के प्रस्ताव को लेकर अधिकारी उलझन में थे, वरिष्ठ अधिकारी के पास फाइल भेजी गई थी, लेकिन निर्णय नहीं हो पा रहा था। अब वह फाइल शासन को भेज दी गई है।
क्षेत्र में विकास कराने के साथ विधायक को अपनी निधि से स्वागत द्वार बनवाने का भी अधिकार होता है। पुराने किसी बड़े नेता और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के नाम से स्वागत द्वार बनवाने में तो कोई अड़चन नहीं आती है, लेकिन जब विधायक किसी स्वजन के नाम पर प्रवेश द्वार का प्रस्ताव देते हैं तो अधिकारियों के सामने दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसी तरह का एक प्रकरण प्रशासन के सामने आया था। दातागंज विधायक ने अपने पिता पूर्व ब्लाक प्रमुख स्व. रामपाल सिंह के नाम पर स्वागत द्वार बनवाने का प्रस्ताव दिया था। आरईएस के इंजीनियरों ने 22 लाख रुपये का एस्टीमेट भी तैयार कर दिया। अधिकारी इस प्रस्ताव को स्वीकृत नहीं कर पा रहे थे। मामला निस्तारण के लिए एक बड़े प्रशासनिक अधिकारी के पास फाइल भेजी गई लेकिन, वह भी कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे। इसी बीच अधिकारियों पर स्वीकृति का दबाव भी पड़ने लगा था, मामला एक वरिष्ठ अधिकारी के पास भेजा गया। हालांकि, अब ग्राम्य विकास विभाग की ओर से अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने आदेश जारी कर दिया है कि स्वागत द्वार किसके नाम पर बनेगा यह शासन स्तर से तय होगा। विशिष्ट व्यक्तियों, ख्याति प्राप्त राजनेताओं, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सम्मान में स्वागत द्वार बनवाने का अधिकार मिला है। अभी तक इसे जिला स्तर पर ही स्वीकृत कर दिया जाता था, लेकिन अब शासन से नाम का अनुमोदन मिलने के बाद ही निर्माण कराया जा सकेगा।
नगर निकायों में बोर्ड में पास कराना होता है प्रस्ताव
नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में भी विशिष्ट व्यक्तियों, महापुरुषों के नाम से स्वागत द्वार का निर्माण कराया जाता है। इसके लिए बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास कराना जरूरी होता है। बोर्ड का अनुमोदन मिलने पर ही स्वागत द्वार का निर्माण होता है। हालांकि, अभी नगर निकायों में शासन से मंजूरी का कोई आदेश नहीं आया है। क्या बोले अधिकारी
विधायक निधि से स्वागत द्वार का निर्माण कराने के लिए अब शासन से अनुमोदन लेना अनिवार्य हो गया है। शासन से इस संबंध में आदेश भी प्राप्त हो चुका है। जिले में इससे संबंधित एक फाइल लंबित थी, जिसे शासन को भेज दिया गया है।
- दीपा रंजन, जिलाधिकारी