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शहरी क्षेत्र में व्यवस्था सुधरी तो अब गांवों में बदइंतजामी

छुट्टा गोवंशीय पशुओं को सहेजने के लिए शहर से लेकर कस्बों और गांवों तक गोआश्रय स्थल बनाए जा रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 12:49 AM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 12:49 AM (IST)
शहरी क्षेत्र में व्यवस्था सुधरी तो अब गांवों में बदइंतजामी

बदायूं : छुट्टा गोवंशीय पशुओं को सहेजने के लिए शहर से लेकर कस्बों और गांवों तक गो आश्रय स्थलों का निर्माण कराया जा रहा है। शहरी क्षेत्र में व्यवस्था काफी हद तक बन गई है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अब भी व्यवस्था नहीं सुधर पा रही है। कहीं औपचारिकता पूरी की जा रही है तो कहीं गोवंशीय पशु खुलेआम विचरण कर रहे हैं।

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संस, बिसौली : गोशाला की स्थापना, आगामी चुनाव, सुरक्षा समिति को लेकर क्षेत्र के प्रधान, राशन डीलर, आशा व संभ्रांत नागरिकों बैठक में विस्तार से चर्चा हुई। एसडीएम व सीओ ने सभी से शांति व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग का आह्वान किया। कोतवाली परिसर में हुई बैठक में एसडीएम मु.अवेश ने कहा कि प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर आवारा गोवंशीय पशुओं के लिये गोशाला का निर्माण जल्द कर लिया जाए। साथ ही गांव की सुरक्षा समिति का गठन भी शीघ्र हो जाना चाहिए। सीओ सर्वेंद्र ¨सह ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण संपन्न कराने के लिये सभी का सहयोग बेहद जरूरी है। इस मौके पर कोतवाल ओपी गौतम, एसआई सुरेंद्र ¨सह, प्रधान शिवकुमार पाराशरी, आदि मौजूद रहे। संसू, कछला : नगर पंचायत क्षेत्र में छुट्टा पशु अब भी कस्बे से लेकर हाईवे तक भ्रमण करते दिखाई दे रहे हैं। भाकियू कार्यकर्ताओं की पंचायत में भी यह मुद्दा उठाया गया। छुट्टा पशुओं से किसानों का नुकसान लगातार हो रहा है। किसान ठंड में घर छोड़कर खेतों पर रखवाली करते रहते हैं। जोगेंद्र ¨सह, सोमवीर ¨सह, नत्थू लाल वर्मा, नंदराम, सुखपाल, महेंद्र ¨सह आदि ने छुट्टा पशुओं को पकड़वाने की मांग की है। जंगलों में घूम रहे गोवंश

संस, बिल्सी : क्षेत्र में गोशाला न होने के कारण गोवंशीय पशु जंगलों में घूम रहे हैं। नगर के बिजली घर रोड पर गोशाला करीब तीन शतक पूर्व संचालित थी। जहां गल्ला मंडी की ओर से चारे की व्यवस्था होती थी। गोशाला का अस्तित्व समाप्त कर पिछले 30 वर्ष से गोशाला सरस्वती शिशु विद्या मंदिर संचालित हो रहा है। गायों के विश्राम के लिए किसी भी सामाजिक संगठन राजनैतिक दल ने गोशाला खुलवाने की पहल नहीं की है।


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