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तालाब में बन गई इमारतें, जिम्मेदारों ने देखा तक नहीं, मिटा दिया गया तालाब का अस्तित्व

हैरत की बात तो यह है कि इस तालाब के किनारे बने हाईवे से सभी जिम्मेदार अधिकारी गुजरते हैं लेकिन किसी ने भी तालाब को बचाने की जहमत नहीं उठाई।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 09:30 AM (IST)
तालाब में बन गई इमारतें, जिम्मेदारों ने देखा तक नहीं, मिटा दिया गया तालाब का अस्तित्व
तालाब में बन गई इमारतें, जिम्मेदारों ने देखा तक नहीं, मिटा दिया गया तालाब का अस्तित्व

बदायूं, जेएनएन : बिसौली और आंवला रोड को जाने वाले रास्ते के बीच में एक बड़ा तालाब मौजूद था। शहर में आने वालों को यह ताल अपनी ओर आकर्षित करता था। इसकी सुंदरता देखते बनती थी, लेकिन दिन पर दिन इसपर कब्जा होने लगे। मौजूदा वक्त में इस तालाब में इमारतें बन चुकी हैं। हैरत की बात तो यह है कि इस तालाब के किनारे बने हाईवे से सभी जिम्मेदार अधिकारी गुजरते हैं, लेकिन किसी ने भी तालाब को बचाने की जहमत नहीं उठाई। इस वजह से यह तालाब मिटता चला गया। मौजूदा वक्त में उस तालाब के अंदर इमारतें बन चुकी हैं तो शेष बचे तालाब की जमीन पर भी प्लाटिग का काम शुरू हो चुका है।

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खेड़ा नवादा स्थित इस ताल का रकबा कई बीघे में था। तालाब काफी गहरा होने की वजह से वह हर मौसम में पानी से लबालब भरा रहता था। पानी ज्यादा होने की वजह से इसमें से उठने वाली पानी की लहरें लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती थीं। करीब तीन दशक पहले तक यह तालाब पूरी तरह से तैयार था। देखते देखते तालाब में जब गंदगी जाना शुरू हुई तो तालाब में पॉलीथिन और कचरा पहुंचा तो वह सूखने लगा। इधर, माफिया इस ताल के सूखने का इंतजार कर रहे थे। वजह थी कि यह तालाब शहर से सटा था और दोनों ओर रोड निकल रहे थे। इस वजह से जमीन महंगी देख सभी इसको व्यापारिक नजरिया से देखने लगे। तालाब का अस्तित्व खतरे में पहुंचा फिर भी उसके जीर्णोद्धार की मांग नहीं उठी। सिस्टम की अनदेखी और माफिया की ताकत के सामने सभी इस तालाब से दूर जाने लगे। नतीजा यह निकला कि यह तालाब पूरी तरह से सूख गया। तालाब में मौजूद टीले इस बात की गवाही दे रहे हैं कि उसकी ओर किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। तालाब सूखने के बाद वहां पर बिल्डिगें बनना शुरू हो गईं। बिल्डिग बनती देख शहरवासियों ने जब इस तालाब को बचाने की बात कही तब तक काफी देर हो चुकी थी। माफिया इस ताल पर काबिज रहे और इमारतें बनती चली गईं। इसके बाद भी कोई कवायद प्रशासन की ओर से नहीं की गई।

इस संबंध में एसडीएम सदर पारसनाथ मौर्य ने बताया कि सदर क्षेत्र में किसी भी तालाब पर अवैध कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। नवादा के ताल का रिकार्ड देखा जाएगा कि वह सरकारी भूमि पर है या फिर किसी की निजी जमीन पर बना था। जांच के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।


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