मेहनत करता किस तरह मजदूर, फिर भी रहता रोटियों से दूर
कला समूह के तत्वावधान में स्काउट भवन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
बदायूं : कला समूह के तत्वावधान में स्काउट भवन पर आयोजित कवि सम्मेलन में डॉ.विष्णु प्रकाश मिश्र को महर्षि दधीचि, हरि प्रताप ¨सह राठौर को जन-जाग्रति सम्मान और साहित्यकारों को साहित्य सम्मान-2018 से विभूषित किया गया। मुख्य अतिथि चेयरमैन दीपमाला गोयल ने मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया, अध्यक्षता पूर्व विधायक प्रेम स्वरूप पाठक ने की। युवा गजलकार कुमार आशीष ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। उझानी के टिल्लन वर्मा ने गजल पढ़ी-पहले रक्षाबंधन पर हम घर-घर जाते थे। कान भुजरयिों हाथ राखियों से भर जाते थे। सुरेंद्र नाज ने कुछ यूं पढ़ा - मेहनत करता किस तरह मजदूर, फिर भी रहता रोटियों से दूर। डॉ.अक्षत अशेष ने कहा - रूख हवाओं का भी मोड़ सकते हैं हम, तन पहाड़ों का भी तोड़ सकते हैं हम। कुमार आशीष ने पढ़ा - तुम्हारे साथ बैठा हूं तुम्हारे पास बैठा हूं, मगर फिर भी न जाने क्यों अजब से फासले हैं। गीतकार पवन शंखखर ने कहा- जब-जब भारतीय संस्कृति गुमनाम हुई है, तब मुहल्ले में मुन्नी बदनाम हुई है। गजलकार विनोद सक्सेना बिन्नी ने कहा- गर्दिशों में भी मुस्कुराना है, जिदगी तुझको आजमाना है। तेरे दामन में हैं तूफां तो मेरे, सिर पे रहमत का शामियाना है। डॉ.अर¨वद धवल ने गीत पढ़ा- जब हथेली पर रखा सर देखिये, मौत भी कितनी गयी है डर देखिये। कामेश पाठक ने कुछ यूं पढ़ा- गुरू ज्ञान का ¨सधु हैं, गुरू अमृत की खान, गुरू की करते वंदना, सारे वेद पुराण। दातागंज से आए आनंद मिश्र अधीर ने कहा- याद हमारी आती होगी अब भी उनकी रातों में, झरते होंगे आंसू अब भी सावन की बरसातों में। दातागंज के ही शराफत समीर ने कहा- मेरी चाहत तुम्हें मुझसे मोहब्बत है अजी छोड़ो, उमर भर के लिये मेरी जरूरत है अजी छोड़ो। कवि डॉ.गीतम ¨सह, अजीत सुभाषित, षट्वदन शंखधार, विजय कुमार श्रीवास्तव, राजेश शर्मा, कुमार कौशल, सीमा चौहान, विशाल सिसौदिया, सत्यदेव श्रीवास्तव ने भी काव्य पाठ किया। संचालन पवन शंखधार ने किया। संयोजक विजय श्रीवास्तव ने सभी साहित्यकारों को साहित्य सम्मान-2018 सम्मान से विभूषित किया। इस मौके पर अजय श्रीवास्तव, कविता श्रीवास्तव, राहुल चौबे, सुमित मिश्रा, शीतल श्रीवास्तव आदि मौजूद रहे।