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आधे आफिसों में संबद्ध, बचे पहुंचे ककोड़ा

बदायूं : प्रधानमंत्री सफाई अभियान को धरातल पर लाने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन यहां जिले में सफाई व्यवस

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 12:20 AM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 12:20 AM (IST)
आधे आफिसों में संबद्ध, बचे पहुंचे ककोड़ा

बदायूं : प्रधानमंत्री सफाई अभियान को धरातल पर लाने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन यहां जिले में सफाई व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। गांवों को साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए गांव-गांव सफाई कर्मियों की तैनाती तो की गई है, लेकिन यह जानकार हैरानी होगी कि 100 से अधिक सफाई कर्मचारी विकास भवन से लेकर ब्लाक मुख्यालयों में संबद्ध हैं। तमाम सफाई कर्मी तो अफसरों के आवासों पर चाकरी बजाकर वेतन ले रहे हैं।

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पंचायती राज विभाग ने गांवों की सफाई व्यवस्था सुधारने के लिए गांव-गांव सफाई कर्मचारियों की तैनाती तो की गयी लेकिन जुगाड़ करके तमाम स्नातक और परास्नातक भी इसमें आ गए। बेरोजगार थे इसलिए जब नौकरी लग रही थी तो कुछ नहीं सोचा लेकिन जब गांवों में झाड़ू उठाने का वक्त आया तो शर्म महसूस होने लगी। इसलिए प्रधान और सचिव से सेटिंग कर कागजों में नौकरी चलाने लगे हैं। दर्जनों की संख्या में सफाई कर्मी विभिन्न कार्यालयों से संबद्ध कर लिए गए हैं। यह जान पाना मुश्किल है कि ग्राम पंचायतों में नियुक्त सफाई कर्मचारी कहां नौकरी कर रहे हैं। विकास भवन से लेकर तहसील और ब्लाकों तक सौ से ज्यादा सफाईकर्मी संबद्ध चल रहे हैं। बताते हैं कि कुछ को लिखित में संबद्ध किया गया तो कुछ मौखिक आदेश पर काम कर रहे हैं। बचे-खुचे इस समय ककोड़ा मेले में लगे हैं। इसकी वजह से गांवों की सफाई व्यवस्था चौपट है। 85 ग्राम पंचायतों के सफाई कर्मचारी मेला ककोड़ा में भी लगाए गए हैं। खैर यह तो महज कुछ दिनों का बड़ा आयोजन है, यहां लाखों की संख्या में लोग जुटते हैं। इसलिए यहां सफाई होना जरूरी है, लेकिन संबद्धता का खेल तो महीनों से चल रहा है। पिछले दिनों मंडलायुक्त कार्यालय से सख्त आदेश जारी किए गए थे कि राजस्व ग्रामों में तैनात सफाई कर्मचारी किसी कार्यालय से संबद्ध हो तो उसे एक सप्ताह के भीतर तैनाती वाले गांव में भेजा जाए। सफाई कर्मी की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए प्रधान, सफाई कर्मी का नाम और मोबाइल नंबर भी मांगा गया था। उप निदेशक पंचायत बरेली मंडल की ओर से जारी इस आदेश को भी कूड़ेदान में डाल दिया गया। अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिन गांवों में सफाई कर्मी पहुंचता ही नहीं होगा वहां सफाई की क्या स्थिति होगी।


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