मजलूमों को इंसाफ, अपराधियों को मिलेंगी सलाखें
बदायूं : कानून-व्यवस्था के जिम्मेदार ओहदे पर रहते हुए मेरा एक ही मकसद है कि मजलूमों को इंसाफ मिले औ
बदायूं : कानून-व्यवस्था के जिम्मेदार ओहदे पर रहते हुए मेरा एक ही मकसद है कि मजलूमों को इंसाफ मिले और अपराधियों को सलाखें। इस दिशा में लगातार हमारी पुलिस काम कर रही है। अब तक कई निर्दोषों को हमने जेल जाने से बचाया है। जो अपराधी है उसको माफी नहीं है। अपराधी को माफी देने का मतलब है कि वह पता नहीं कितने अपराध करेगा। ऐसे अपराध रोकना ही पुलिस की नैतिक जिम्मेदारी है। रही बात थाना प्रभारियों की कार्यशैली की तो हम रोजाना उनके कार्य का आंकलन करते हैं थाने बदलने से कुछ नहीं होता अगर गलत हो रहा है तो सीधे तौर पर कार्रवाई करना ही अच्छा विकल्प है। ताकि उस कुर्सी पर दूसरा बैठे तो वह मजलूमों को इंसाफ दिला सके। गांव देहात में पार्टीबंदी, पेशबंदी के तहत लोगों को फर्जी तौर पर फंसा देते थे इससे वह लोगों का कानून से भरोसा उठ जाता था, हमने अभियान चलाया है कि पेशबंदी में फंसाए गए लोगों को सात दिन के अंदर बचा दिया जाए। इस अभियान के तहत बेकसूरों को इंसाफ मिल रहा है। बात शहर के जाम की करें तो यहां पालिका और परिवहन विभाग को अपना दायित्व निभाना चाहिए। यह उनका फर्ज है, पुलिस की जहां जरूरत है वहां पुलिस उनको मिलेगी। यह बात दैनिक जागरण के प्रश्न पहर में बतौर अतिथि आए एसएसपी अशोक कुमार ने कहीं। सवाल : थाने में तहरीर देते हैं तो उसकी रिसी¨वग नहीं होती है। इसके लिए क्या करना होगा। कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
- कपिल देव सिमर्रा भोजपुर थाना बिल्सी जवाब : ऐसा नहीं है मेरी तैनाती के बाद हर तहरीर पर मुकदमा दर्ज हो रहा है रिसी¨वग की बात ही नहीं है। इसके बाद भी अगर कोई शिकायत है तो मैं इसकी जांच कराकर कार्रवाई कराता हूं।
सवाल : हमारे यहां ग्राम सुरक्षा समितियां निष्क्रिय हैं। पुलिस मित्रों को भी पुलिस ने नजर अंदाज कर दिया है इस वजह से वह किसी काम में दिलचस्पी नहीं लेते हैं। इसके लिए क्या योजना बनाई जा रही है।
- रामबाबू, गूरा बरैला थाना उसावां जवाब : हर गांव में ग्राम सुरक्षा समितियों का गठन किया जा रहा है। हर गांव में दस-दस लोगों की टीम गठित हो रही है। वह गांव के मसले गांव में ही निपटाएंगे। इस योजना पर हमारा नारा है कि कोर्ट कचहरी हम क्यों जाएं, गांव के झगड़े गांव में निपटाएं।
सवाल : हमने वर्ष 2010 में प्लाट लिया था, इसके बाद पड़ोसी उसको नहीं बनने दे रहे थे। हमने अदालत की शरण ली तो वहां से प्लाट बनने के आदेश हो गए। इसके बाद भी पुलिस ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब क्या करना चाहिए।
- ताहर ¨सह, विक्रमपुर करसौरा थाना इस्लामनगर
जवाब : अपना बैनामा और अदालत का आदेश लेकर आप कल हमारे आफिस आकर हमसे मिलें। पुलिस ने कहीं पर लापरवाही की है तो पुलिस के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। सवाल : हमें कोई शिकायत नहीं करनी है। आपने जो बेकसूरों को बचाने के लिए अभियान चलाया है इसके लिए आपको धन्यवाद बोलना था। जनहित में आप ऐसे ही कार्य करते रहें। लोगों को यातायात नियमों के बारे में भी जागरूक करने में आप कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। देहात में यह पहल और दिखनी चाहिए।
- सौदान ¨सह, रसूलपुर कलां थाना जरीफनगर
जवाब : जो कुछ भी हो रहा है वह आप लोगों के सहयोग से हो रहा है। आपके गांव में मैं आउंगा हेलमेट लेकर। गांव में जो भी बाइकें हैं उन सभी लोगों को हेलमेट पहनाकर जागरूकता रैली निकालुंगा। इसमें आपका सहयोग चाहिए। सवाल : सूदखोरी के लिए जो आपने पहल शुरू की है वह काफी सराहनीय है। गांव में तमाम लोग सूदखोरों के चंगुल में हैं। वह कहां पर शिकायत करें हेल्पलाइन नंबर मिल जाता तो ज्यादा सही रहता।
- भूपेंद्र सक्सेना, परौली थाना बिल्सी
जवाब : सूदखोरों के जाल में जो भी लोग फंसे हैं वह उनसे आकर संपर्क करें। अपनी शिकायत दर्ज कराएं। इसके लिए हेल्पलाइन नंबर 7839866726 है। इसपर शिकायत दर्ज कराएं, तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
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