खुजली के रोगी बढ़े, दाद की दस्तक
गर्मी का मौसम आते ही खुजली और दाद के मरीज एकाएक अस्पताल में बढ़ने लगे हैं।
बदायूं : गर्मी आते ही जिलेभर में खुजली और दाद की बीमारी ने पांव पसार लिए हैं। त्वचा संबंधी बीमारियों से ग्रसित मरीजों की संख्या जिला अस्पताल में भी पहले के मुकाबले तीन गुनी हो गई है। वहीं यहां एंटी एलर्जिक दवाओं की किल्लत भी हो चुकी है। त्वचा संबंधी मरीजों के लिए केवल ट्यूब देकर काम चलाया जा रहा है।
जिला अस्पताल की ओपीडी में त्वचा संबंधी बीमारियों के एक महीने पहले तक 40 से 50 मरीज रोजाना आते थे। जबकि 20 मार्च से मरीजों की संख्या रोजाना बढ़ती जा रही है। मौजूदा वक्त में डेढ़ सौ से दो सौ मरीज रोजाना यहां पहुंच रहे हैं। इनमें अधिकांश मरीज खुजली और दाद से पीड़ित हैं। इसके अलावा मैलाज्मा से ग्रसित मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। डॉक्टरों का भी कहना है कि गर्मी में त्वचारोगियों की संख्या बढ़ जाती है। इंसेट
यह है वजह
- गर्मी में पसीने और धूप के कारण त्वचा गीली रहती है। जोड़ों में पसीना जमने के कारण कभी यह खुजली का रूप ले लेता है तो कभी दाद बन जाता है। इसके अलावा इस मौसम में लोग गर्मी से बचने के लिए लोग हल्के गीले कपड़े पहनने से भी नहीं चूकते। जबकि स्वीमिग पूल में नहाने और कपड़े न बदलने के कारण भी समस्या बन जाती है। इंसेट
टिट्राकोनाजोल की गोलियां खत्म
- जिला अस्पताल में टिट्राकोनाजोल की गोलियां खत्म हो चुकी हैं। मरीजों के लिए केवल ट्रैविनाफिन के ट्यूब दिए जा रहे हैं। इसके अलावा एंटीबायोटिक दवा के जरिये भी इलाज किया जा रहा है। चूंकि बाहर की दवाएं लिखने पर पाबंदी है। ऐसे में चिकित्सक प्रधानमंत्री जनऔषधि केंद्र से इन गोलियों से मिलते हुए साल्ट की दवा लेने का सुझाव दे रहे हैं। इंसेट
डॉक्टर की राय
फोटो - 15 बीडीएन - 4
धूप में अक्सर लोगों के चेहरे लाल हो जाते हैं और शरीर पर चकत्ते भी पड़ जाते हैं। पसीने और धूल के कारण ऐसा होता है। जरूरी है कि घर से निकलते वक्त सनस्क्रीन क्रीम लगाएं। कोशिश करें कि जरूरी न हो तो इस मौसम में धूप और धूल से बचें। सुबह-शाम साफ पानी से नहाएं और कपड़े जरूर बदलें। काफी हद तक इन बीमारियों से बचा जा सकता है।
डॉ. गजेंद्र वर्मा, त्वचा रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल
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