कहीं साहित्य सृजन तो कहीं संगीत की धुन
कल तक वक्त नहीं मिलता था आज वक्त ही वक्त है। समय को व्यतीत करने के लिए घर में काम तलाशने पड़ रहे हैं। लॉक डाउन के दस दिन गुजर चुके हैं। अब हर किसी की अपनी-अपनी दिनचर्या बन चुकी है। शहर के साहित्यकारों ने कोरोना से जुड़ी रचनाएं लिखनी शुरू कर दी हैं तो संगीत से जुड़े कलाकार अधिक से अधिक समय रियाज में गुजार रहे हैं।