कहीं साहित्य सृजन तो कहीं संगीत की धुन
कल तक वक्त नहीं मिलता था आज वक्त ही वक्त है। समय को व्यतीत करने के लिए घर में काम तलाशने पड़ रहे हैं। लॉक डाउन के दस दिन गुजर चुके हैं। अब हर किसी की अपनी-अपनी दिनचर्या बन चुकी है। शहर के साहित्यकारों ने कोरोना से जुड़ी रचनाएं लिखनी शुरू कर दी हैं तो संगीत से जुड़े कलाकार अधिक से अधिक समय रियाज में गुजार रहे हैं।
जागरण संवाददाता, बदायूं : कल तक वक्त नहीं मिलता था, आज वक्त ही वक्त है। समय को व्यतीत करने के लिए घर में काम तलाशने पड़ रहे हैं। लॉक डाउन के दस दिन गुजर चुके हैं। अब हर किसी की अपनी-अपनी दिनचर्या बन चुकी है। शहर के साहित्यकारों ने कोरोना से जुड़ी रचनाएं लिखनी शुरू कर दी हैं तो संगीत से जुड़े कलाकार अधिक से अधिक समय रियाज में गुजार रहे हैं। कवियों ने सोशल मीडिया पर रचनाओं से लोगों को कोरोना से बचाव के लिए प्रेरित करते नहीं थक रहे हैं। नेहरू मेमोरियल शिवनारायण दास कॉलेज के संगीत विभाग के प्रवक्ता डॉ.मदन मोहन लाल प्रोफेसर कॉलोनी स्थित अपने आवास पर ही वक्त गुजार रहे हैं। तबला वादन में वह खुद पारंगत हैं, बेटी खुशबू ने भी तबला वादन में महारत हासिल कर रखी है। छोटी बेटी आयुषी भी गायन में पारंगत है। सभी को अपनी-अपनी विधा का रियाज करने का भरपूर मौका मिल रहा है। डॉ.मदन जहां तबले पर थाप दे रहे हैं तो आयुषी कोरोना से बचाव के प्रेरक गीत गाकर यूटूब पर शेयर कर रही हैं। डॉ.अक्षत अशेष- उठो देशवासी कहीं देर न हो जाये, अपनों का घर कहीं ढेर न हो जाये। अभिषेक अनंत-बाध्य पलायन को हुआ यूपी और बिहार, कोरोना ने डस लिया दिल्ली का घर-बार। आदित्य तोमर-बार-बार घर से निकलने के आदी लोगों, थोड़े दिन हाथ से छुड़ा के रखो हाथ को। प्रवीण नादान-भूख से लाचार मजदूर बेबसी पर रोता है, ये कमबख्त पेट लॉकडाउन क्यों नहीं होता है।