झोपड़ी तालाब में घिरी, उम्मीदें सिस्टम में
उझानी : बेघर गरीबों को अपना घर देने के सरकारी दावे शीला देवी की झोपड़ी के आगे ठिठक
उझानी : बेघर गरीबों को अपना घर देने के सरकारी दावे शीला देवी की झोपड़ी के आगे ठिठक कर रह गए। घर तो मिल न सका, सिर छिपाने की झोपड़ी भी तालाब की जद में आ गई। झोपड़ी तक पहुंचने के लिए भी दूषित पानी से होकर गुजरना पड़ता है। न वोट के लिए चक्कर लगाने वाले नेताओं को यह बेबसी दिख रही है न प्रशासन और पालिका के जिम्मेदारों को।
नगर के नझियाई मुहल्ला निवासी 50 वर्षीय शीला अपने मानसिक रूप से अस्वस्थ बेटे के साथ गुठाइन तालाब किनारे झोपड़ी में गुजर-बसर करती है। पति का कई वर्ष पहले निधन हो गया था। कोल्ड स्टोरेज में आलू बीनकर मिलने वाली मजदूरी से अपना और बेटे का पेट भर पाती हैं। नगर का पानी तालाब में गिरने से जलस्तर बढ़ा तो झोपड़ी तालाब के पानी में घिर गई। दूषित पानी से होकर आने-जाने से पैर त्वचा रोग की चपेट में आ गए।
योजनाएं तमाम, लाभ एक का न मिल सका
गरीबों को पक्के घर देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना सहित तमाम घोषणाएं हुई। इस विधवा की गरीबी और बेचारगी सर्वे करने वाले मुलाजिमों को नहीं दिखती। किसी योजना में उसका नाम न शामिल हो सका। सभासद से लेकर पालिका अध्यक्ष तक से गुहार भी की, लेकिन सब से सिर्फ आश्वासन ही मिला।