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आरोपित प्रधान को दी क्लीनचिट तो पीड़िता पहुंची हाईकोर्ट

दुष्कर्म और एससीएसटी के प्रकरण में हाईकोर्ट ने दोबारा से विवेचना के आदेश दिए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 May 2019 11:17 PM (IST)Updated: Sat, 18 May 2019 11:17 PM (IST)
आरोपित प्रधान को दी क्लीनचिट तो पीड़िता पहुंची हाईकोर्ट
आरोपित प्रधान को दी क्लीनचिट तो पीड़िता पहुंची हाईकोर्ट

बदायूं/वजीरगंज : अनुसूचित जाति की आशा कार्यकर्ता को एएनएम बनवाने का झांसा देकर पहले ठगी करने फिर दुष्कर्म करने के आरोपित ग्राम प्रधान को विवेचना में क्लीनचिट देने वाली खाकी सवालों के घेरे में घिर गई है। क्योंकि पीड़िता ने इंसाफ के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस प्रकरण में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए दोबारा जांच शुरू कराने और आरोपित को क्लीनचिट देने वाले सीओ बिसौली सर्वेद्र सिंह से जांच हटाते हुए सीओ सिटी राघवेंद्र सिंह को सौंपने के आदेश दिए हैं। हाईकोर्ट के मामले में गंभीरता दिखाने से पीड़ित पक्ष को भी न्याय की उम्मीद जगी है। यह था मामला

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वजीरगंज क्षेत्र के एक गांव की अनुसूचित जाति की आशा वर्कर को गांव के ही प्रधान सत्यवीर सिंह ने पहले एएनएम बनवाने का झांसा देकर 25 हजार रुपये ठग लिए। फिर एक अधिकारी से मिलवाने के लिए बदायूं लेकर जाते वक्त रास्ते में खेत में दुष्कर्म किया। वहीं उसकी अश्लील क्लीपिग भी बना ली थी। इसके बाद आरोपित यौन शोषण का दबाव पीड़िता पर बनाने लगा। तंग आकर पीड़िता ने मार्च 2018 में आरोपित प्रधान के खिलाफ दुष्कर्म, ठगी व एससी-एसटी एक्ट का मुकदमा दर्ज कराया। मामले की विवेचना पहले सीओ बिसौली मुन्नालाल की थी लेकिन तबादला होने पर यह जांच मौजूदा सीओ सर्वेद्र सिंह पर आ गई। यहां खाकी पर लगा खेल का आरोप

सीओ ने गवाहों के अभाव में इस मामले में एफआर लगा दी। जबकि पीड़ित पक्ष का आरोप है कि मामले से जुड़े गवाह उसके पास हैं, सीओ ने उनका बयान भी दर्ज किया था लेकिन विवेचना में उन बयानों को शामिल नहीं किया गया और एफआर लगाकर आरोपित को क्लीनचिट दे डाली। अदालत से मिली राहत

पुलिस को एफआर को पीड़ित पक्ष ने अदालत में चुनौती दी तो सुनवाई के बाद एफआर खारिज कर दी गई। वहीं नए सिरे से विवेचना का आदेश दिया गया। नतीजतन विवेचना पुन: सीओ सर्वेद्र सिंह के पास पहुंच गई। इस पर पीड़ित पक्ष ने हाईकोर्ट की शरण ली और सीओ द्वारा दोबारा विवेचना पर आपत्ति जताई। इस पर हाइकोर्ट ने एसएसपी को किसी अन्य सक्षम अधिकारी से जांच कराने का आदेश दिया था।

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