मझिया गांव में हर घर में बुखार के मरीज
मझिया गांव की स्थिति काफी खराब है। यहा बुखार का प्रकोप सबसे ज्यादा है।
बदायूं : जहां एक ओर स्वास्थ्य महकमा जिलेभर के गांवों में 33 टीमें भेजकर बुखार ग्रसित मरीजों का परीक्षण व उपचार का दावा कर रहा है। वहीं इस दावे की हकीकत शहर से चार किलोमीटर दूर स्थित गांव मझिया झुठला रहा है। आलम यह है कि गांव में कोई ऐसा घर नहीं है, जहां बुखार का मरीज न हो। इतना ही नहीं रविवार को यहां के एक व्यक्ति की बुखार से बरेली के अस्पताल में दौरान इलाज मौत भी हुई है। गांव में सफाई व्यवस्था ध्वस्त है और हालात उस वक्त और बिगड़ जाते हैं, जब बारिश हो जाए। क्योंकि टूटी सड़कों पर जलभराव के हालात बनते हैं, जहां लार्बा पनपता है।
तकरीबन 3800 की आबादी वाले इस गांव में जहां सुविधाओं के नाम पर छलावा हुआ है। वहीं बुखार पूरी तरह बेकाबू हो चुका है। गांव के कुछ लोग तो जिला अस्पताल या बरेली के निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं। जबकि कई ऐसे हैं, जो यहां एक झोलाछाप की छत्रछाया में खुद को जानलेवा बुखार से बचाने की जद्दोजहद में हैं। कोई ऐसा घर नहीं, जिसमें परिवार के किसी न किसी सदस्य के मुंह से बुखार से होने वाले दर्द की कराह न निकल रही हो। जबकि वजह साफ है कि गांव की सफाई व्यवस्था ध्वस्त होने के कारण मच्छर पनप रहे हैं और लोग बुखार की चपेट में आ रहे हैं।
एक सफाई कर्मी ही तैनात
गांव में महज एक सफाईकर्मी ही तैनात है। जो प्राथमिक विद्यालय समेत उसके आसपास इलाके में सफाई करके लौट जाता है। सच तो यह है कि एक कर्मचारी के बस की बात भी नहीं जो पूरे गांव की व्यवस्था दुरुस्त रख सके। वहीं यहां और सफाईकर्मी की मांग भी नहीं की गई है।
शौचालय बने पर खेतों पर जाते हैं लोग
गांव में पिछली बार लगभग 160 लोगों को शौचालय बनवाए गए थे। जबकि मौजूदा वक्त में 76 परिवारों के लिए शौचालय का पैसा मिलना बकाया है। खासियत यह है कि शौचालय घर पर है लेकिन गांव के अधिकांश लोग सुबह उठते ही जंगल का रुख करते हैं। गंदगी को यहीं से बढ़ावा मिलता है। फैक्ट फाइल
आबादी - 3800
कुल वोट- 1298
पुरुष वोट- 731
महिला वोट - 567