खेत, किसान, इंसान..जैविक खेती वरदान
जैविक खाद खेत किसान और लोगों सभी के लिए फायदेमंद है। खेत की मिट्टी को किसान को आर्थिक रूप से और लोगों को सेहत के हिसाब से फायदा ही फायदा है।
जागरण संवाददाता, बरेली : जैविक खाद खेत, किसान और लोगों, सभी के लिए फायदेमंद है। खेत की मिट्टी को, किसान को आर्थिक रूप से और लोगों को सेहत के हिसाब से फायदा ही फायदा है। इससे उत्पादित होने वाले उत्पाद महंगे होने के बावजूद ज्यादा बिकते हैं। बाजार का बड़ा वर्ग अपने स्वास्थ्य के लिए जागरुक हो चुका है। किसानों को जैविक खाद के इस्तेमाल करने के लिए जागरुक करने के लिए जब दैनिक जागरण के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट रिठौरा के गांव ग्रेम में पहुंचे तो किसानों के सवालों की झड़ी लग गई।
जैविक खाद कैसे बनाएं, कैसे सही तरीके से खेती करें ताकि कम लागत में अधिक उपज हासिल की जा सके। कृषि विज्ञान केंद्र के डॉ. आरके सिंह ने किसानों को बताया कि रासायनिक खाद से होने वाली उपज धीमा जहर है। सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं, बल्कि आपकी मिट्टी के लिए भी। यही वजह है कि रासायनिक खाद का इस्तेमाल करने वाले किसानों को हर साल पहले से अधिक खाद का इस्तेमाल अपनी भूमि पर करना पड़ रहा है। खाद बनाकर बेचने का व्यवसाय
किसान जैविक खाद बना कर अपने आस-पास के किसानों को भी बेच सकते हैं। ये भी एक नया व्यवसाय हो सकता है। जिससे किसान पैसा कमा सकते हैं। लोग जैविक सब्जी, फल ही चाहते
जैविक खाद से पैदा हुए उत्पाद की शहरों में बड़ा बाजार तैयार हुआ है। स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो चुके लोग आर्गेनिक सब्जी, फल ही खाना पसंद कर रहे हैं। कृषि लागत कम होती है। महंगी खाद खरीदने की जरुरत नहीं होती है। मिट्टी को स्थिर करती है जैविक खाद
जैविक कृषि उत्पादन में स्थिरता और किसान को अधिक मुनाफा होता है। पारंपरिक खेती कई कारकों पर निर्भर है लेकिन जैविक खेती मिट्टी को स्थिर करने का काम करती है और लम्बे समय में यह किसान की मदद करती है। भूमिगत जल के लिए भी फायदेमंद
रसायनिक खाद से भूमिगत जल प्रदूषित होता है। जैविक खाद के इस्तेमाल से भूमिगत जल को बचाया जा सकता है। जैविक खेती से कोई नुकसान नहीं होता। ये खेत में सूक्ष्म जीव और वनस्पतियों को प्रोत्साहित करते हैं, मिट्टी की संरचना में सुधार करते हैं।
------------
जैविक खाद कैसे बनाएं
उन्होंने कहा कि जीवों के शरीर से बनने वाली खाद ही जैविक खाद है। घास, पत्ते, गोबर व अन्य कूड़ा कचरा के सड़े गले अंश से ही जैविक खाद तैयार होती है। केचुए व अन्य उपशिष्टवासी कीट भी जैविक खाद बनाने में मददगार होते हैं।
---------------
किसानों की बातचीत : फोटो -
हमें जैविक खाद के बारे में काफी कुछ पता था। कुछ बैठक के जरिए और पता चली है। हम जैविक खाद से ही उपज पैदा करेंगे। - लाला प्रसाद, किसान गांव में कई किसान रसायनिक खाद का इस्तेमाल करते हैं। उनकी फसल देखने में अच्छी होती है। लेकिन हमें पता है कि सेहत के लिए कितनी खतरनाक है। - मेवाराम, किसान पूरी बात समझने के बाद रसायनिक खाद का इस्तेमाल खेतों पर बिल्कुल नहीं करेंगे। जैविक खाद ही हमारी उपज को बेहतर बनाएगी। - रुप किशोर, किसान यहां पर किसानों ने मिलकर यह संकल्प लिया है। रसायनिक खाद का इस्तेमाल करके हम अपनी फसल भविष्य में बर्बाद नहीं करेंगे। - उमाशंकर, किसान
------------------ नोट : जैविक खाद के उपज खाने वाले चार लोगों के फोटो और बातचीत और दी जाएगी। -----------------
हेडिंग : देसी खाद से उपजा ताइवान पिंक अमरूद खाइए जनाब सक्सेज स्टोरी :
फोटो - उन्नतशील किसान सेंथल के नरेंद्र कुमार गंगवार - जैविक खाद से क्लोनल अमरूद, कश्मीरी एप्पल बेर आदि पैदा कर रहे
- नवाबगंज के एक हजार किसानों को अपने साथ जोड़ा,
- दूसरों को भी जैविक खाद का उपयोग करने को किया प्रेरित
जागरण संवाददाता, बरेली : जैविक खाद की मदद से विदेशों की फल प्रजातियों की बरेली में पैदावार हो रही है। सेंथल के उन्नतशील किसान नरेंद्र कुमार गंगवार ताइवान पिंक प्रजाति के अमरूद और स्ट्राबेरी उगा रहे हैं। न सिर्फ खुद बल्कि नवाबगंज के एक हजार किसानों को अपने साथ जोड़कर उन्होंने अमरूद की ताइवान पिंक प्रजाति के पौधे बंटवाए। अब सेंथल के खेतों में ताइवान पिंक प्रजाति उपजाकर किसान फल बाजार तक पहुंचा रहे हैं।
नरेंद्र गंगवार बताते हैं कि एक वक्त वह सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे। इसी दौरान रसायनिक खाद से मिट्टी को होने वाले नुकसान के बारे में उन्हें पता चला। उनकी खुद की जमीन पर रासायनिक खाद का इस्तेमाल होते देख उन्होंने संकल्प किया कि हर हाल में देसी खाद बनाने और उसके उपयोग के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे।
इसके बाद सोशल मीडिया के सहारे उन्होंने एक हजार किसानों का ग्रुप तैयार कर लिया। जैविक खाद के जरिए क्लोनल अमरुद, कश्मीरी एप्पल बेर, टिशू कल्चर लेमन जैसी उपज को करने के तरीके किसानों तक पहुंचाएं। स्ट्रॉबेरी की खेती करने के तरीके भी ग्रामीणों को समझाए। उनके इन प्रयासों का फायदा यह हुआ कि अब किसान मिलकर जैविक खाद के जरिये फल उगा रहे हैं। नया बाजार तलाश रहे किसान
इस उपज के लिए नया बाजार तलाशने की दिशा में भी किसान आगे बढ़ रहे हैं। बातचीत में उन्होंने बताया कि किसान जमापूंजी इकट्ठा करके पब्लिक कंपनी तक खड़ी करने की योजना बना रहे हैं। इसमें कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ. आरके सिंह भी उनकी मदद कर रहे हैं।
----------------
प्रजाति आय प्रति बीघा
क्लोनल अमरूद एक लाख से तीन लाख तक
कश्मीरी एप्पल बेर एक लाख से दो लाख
टिशू कल्चर लेमन एक लाख से दो लाख
--------------------------------