देहदान की प्रेरणा बने डॉ. विष्णु
मृत शरीर भी किसी काम में आ सकता है। बहुत कम लोग इससे इत्तेफाक रखते हैं लेकिन यह सच है।
बदायूं : मृत शरीर भी किसी काम में आ सकता है। बहुत कम लोग इससे इत्तेफाक रखते हैं। जिले में एक शख्स ने न केवल स्वयं देहदान का संकल्प लेकर इसे मुमकिन किया, बल्कि लोगों को भी प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा का ही प्रतिफल है कि अब तक 46 लोग मरणोपरांत मेडिकल कॉलेज को देहदान की शपथ ले चुके। संकल्प कर चुके।
देहदान और नेत्रदान के संकल्प पथ पर चलने वाले यह शख्स हैं नगला कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. विष्णु प्रकाश मिश्र। शहर के मुहल्ला पटियाली सराय निवासी डॉ. मिश्र ने 1998 में ही मेरठ मेडिकल कालेज को अपनी देहदान करने का फार्म भरा था। तब बदायूं में इस तरह का न तो मेडिकल कॉलेज था न शोध संस्थान।
तब कतराते थे लोग, फिर हुए प्रेरित
2001 में बदायूं आ गए। लोगों को पता चला तो कई लोगों ने इसे अजीबोगरीब निर्णय कहकर आलोचना भी की। उन्होंने लोगों को समझाया कि आने वाली पीढ़ी चिकित्सक मानव शरीर को भीतर से जानेंगे, सीखेंगे नहीं तो अच्छे डॉक्टर कहां से मिलेंगे। जितनी गहराई से शरीर तंत्र और बीमारियों को जान पाएंगे उतना ही समाज को लाभ हो सकेगा। उनके विचारों ने लोगों की सोच बदली। 46 लोग मेडिकल कालेजों में देहदान का संकल्प ले चुके हैं।
उनकी आंखों से रोशन होगी नेत्रहीनों की दुनिया
केवल शरीर दान ही नहीं, बल्कि नेत्रदान का महत्व भी समझाया। खुद भी नेत्रदान का संकल्प लिया। अब तक 249 लोग भी इससे जुड़ चुके। इनकी आंखों से नेत्रहीनों की दुनिया रोशन हो सकेगी।