आतिशबाजी के बजाय बांटे खुशियों के उपहार
पटाखों से पर्यावरण दूषित होता है। इसलिए हम सभी को ईको फ्रेंडली दिवाली मनानी चाहिए।
बदायूं : पटाखों से पर्यावरण दूषित होता है। यह सभी जानते हैं, बावजूद इसके शायद ही कोई शख्स हो जो दीपावली पर पटाखे न चलाता हो। किसी न किसी बहाने लोग पर्यावरण की परवाह किए बगैर अपनी मनमर्जी कर डालते हैं। हालांकि इस बार ऐसा नहीं है, क्योंकि जहां सदर विधायक महेश चंद्र गुप्ता ने पटाखे फोड़ने की जगह जरूरतमंदों की मदद का संकल्प लिया है। वहीं जिले के मुखिया डीएम दिनेश कुमार ¨सह ने भी घर में चाइनीज झालरों की जगह मिट्टी के दिए जलाने की बात कही है। एसएसपी अशोक कुमार ने भी सुप्रीमकोर्ट की रू¨लग के मुताबिक तय वक्त पर कम से कम आतिशबाजी छुड़ाते हुए लोगों को उपहार देने की बात कही है। वहीं नगर पालिका चेयरमैन दीपमाला गोयल भी इस बार जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए आगे आएंगी। कम जलाएं पटाखे न करें नशा
त्योहार और परंपरा अपनी जगह है लेकिन अब वक्त है कि बढ़ते प्रदूषण को रोकते हुए अपनी अगली पीढि़यों को बीमारियों से बचाने की। इसलिए कम से कम पटाखे चलाते हुए एक-दूसरे से मिलकर दिवाली की बधाई दें। परिचितों को उपहार दें और जरूरतमंदों की मदद करें। आतिशबाजी और नशे से इस पर्व पर दूर रहें।
- महेश चंद्र गुप्ता, सदर विधायक
अहतियात बरतना जरूरी
दीपावली का त्यौहार है, जबकि अभी हाल ही में विस्फोट वाला हादसा हुआ है। ऐसे में जरूरी है कि लोग आतिशबाजी चलाते वक्त पहले खुद का ध्यान रखें। वहीं शहर को स्वच्छ बनाने के लिए हर संभव कोशिश करें। रही बात हमारी तो हम तो जरूरतमंद लोगों के पास जाकर उन्हें उपहार देकर दिवाली उन्हीं लोगों के साथ मनाएंगे।क्योंकि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने से हम अगली पीढि़यों के लिए ही समस्या खड़ी करेंगे।
दीपमाला गोयल, चेयगमैन नगर पालिका बदायूं जरूरतमंदों की करें मदद
चाइनीज झालरों की जगह अगर दीपक जलाएंगे तो उजियारा भी होगा और वातावरण भी शुद्ध होगा। जिले के लोगों को भी चाहिए कि पूजा-पाठ के बाद कम से रोशनी वाले पटाखा ही चलाएं। वहीं जो रकम पटाखों पर गवां रहे हैं, उसकी मिठाई, कपड़े या अन्य कोई उपहार खरीदकर ऐसे व्यक्ति को दें, जिसकी उसे जरूरत हो। खुद देखिए त्यौहार की खुशी तो दोगुनी हो ही जाएगी, साथ ही मन को भी काफी संतोष मिलेगा। आतिशबाजी से धुएं और धमाकों के अलावा कुछ नहीं मिलता।
- दिनेश कुमार ¨सह, डीएम
सुप्रीम कोर्ट के नियम का करें पालन
इको फ्रैंडली दिवाली मनाएं। इसके लिए कम धुआं और कम आवाज वाले पटाखे ही चलाएं। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के मुताबिक दिए गए वक्त पर ही कम से कम आतिशबाजी चलाकर यह मिसाल कायम करें कि हमारे जिले की जनता पर्यावरण संरक्षण के लिए काफी जागरूक है। इससे अच्छा उपहार बांटें और घर में रोशनी करें। तभी त्यौहार कहा जाएगा।
- अशोक कुमार, एसएसपी